________________
आस्था की ओर बढ़ते कदम
जयचन्द्र जी के बाद सब से ज्यादा है ।
आचार्य श्री आत्मा राम जैन
भाषण माला की स्थापना ३
श्री श्वेताम्बर स्थानक वासी जैन परम्परा में आचार्य श्री आत्मा राम जी महाराज का अपना स्थान है । वह आचार्य अमर सिंह जी महाराज की परम्परा के आचार्य थे । उनके गुरू श्री शालिग राम जी थे। आप का जन्म राहों के क्षत्रिय परिवार में चोपडा वंश में सेठ मनसा राम व माता परमेश्वरी देवी के यहां हुआ। अल्पायु में माता पिता का साया सिर से उठ गया। आप के पालन पोषण की जिम्मेवारी आप की दादी ने निभाई कुछ समय के बाद वह भी स्वर्ग सिधार गई । बालक आत्मा राम संसार में अकेले पड गए । उनको संसार की क्षणभंगुरता का अहसास हुआ। उन्हें बचपन में ही जैन मुनियों को सुनने का अवसर मिला। जिस के कारण वैराग्य के रंग और पक्का होने लगा। छोटी सी आयु में आप ने साधु जीवन अंगीकार कर दीक्षा स्वीकार की। फिर स्वयं को शास्त्र पठन पाठन में इतना लगाया कि जीवन के अंतिम वर्षों में वह दृष्टिहीन हो गए पर तव तक वह २० आगमों पर हिन्दी टीका संस्कृत छाया सहित लिख चुके थे। इन कुछ प्रकाशन इनके स्वर्गारोहण के बाद भी प्रकाशित हुए। वह श्रमण संघ के प्रथम आचार्य घोषित हुए । उनके सम्मान में २२ स्थानक वासी आचार्यों ने अपने पद की चादर जैन एकता के लिए उतार कर इन्हें समर्पित कर दी। उन को आचार्य पद इन की अनुपस्थिति में सर्वसम्मति से दिया गया। आप ने अनेकों भव्य आत्माओं को दीक्षा देकर मोक्ष का रास्ता वताया । इन में कुछ के नाम उल्लेखनीय हैं जैसे कि प. हेम चन्द्र जी महाराज, श्री खजान चंद जी
98
-