________________
- स्था की ओर बढ़ते कदम महाराज, श्री रत्न मुनि जी महाराज, श्री ज्ञान मुनि जी (१: महाराज, श्री ज्ञान मुनि जी महाराज (२) उपाध्याय मनोहर मुनि जी, पंडित हेम चन्द जी के शिष्य भण्डारी श्री पर चन्दं जी महाराज धर्म प्रभावक थे। पं. खजान चंद्र जी ने स्त्री शिक्षा के लिए स्कूलों व जैन स्थानकों का जाल विछ दिया। उनके शिष्य प्रवर्तक श्री फूलचंद जी 'श्रमण' थे: जिन्होंने अपने वावा गुरू के स्थानांग सूत्र, उपासक दशांग सूत्र का प्रकाशन करवाया। पूज्य श्री ज्ञान मुनि (२) पहुंचे साधु थे। आप ने अपने गुरु की परम्परा को आगे बढाते हुए अनेकों आगमों पर स्वयं टीका लिखीं हैं। श्री ज्ञान मुनि जी ने अनेकों परोपकारी संस्थाओं का निर्माण भी विभिन्न स्थलों पर करवाया है। प्रवर्तक भण्डारी श्री पदम चन्द जी महाराज के शिष्य उपप्रवर्तक श्री अमर मुनि जी महाराज ने सचित्र आगम प्रकाशन अंग्रजी, हिन्दी भाषा में करवाया है। पूज्य श्री ज्ञान मुनि जी के प्रमुख शिष्य डा० शिव मुनि ज. महाराज आज कल श्रमण संघ के चतुर्थ आचार्य पटधर में रूप में समाज में ध्यान व समाधि के माध्यम से नव चेतन. का संचार कर रहे हैं। स्व० श्री खजान चन्द्र जी महाराज के एक शिष्य श्री त्रिलोक मुनि जी महाराज जो कि जैन आगमों के महान् विद्वान व समाज सुधारक हैं उन्होंने ने भी अनेक परोपकारी संस्थाओं का निर्माण किया।
आचार्य श्री आत्मा राम जी महाराज ने उस समय हिन्दी भाषा का प्रचार किया जव कि पुराने पंजाब में उर्दू, फारसी व अंग्रजी का जोर था। आपने लाहोर औरीएंटल कालिज के लिए प्राकृत भाषा का सिलेबस तैयार किया। आपने आगमों के अतिरिक्त ६० ग्रन्थ हिन्दी भाषा को प्रदान किए हैं। जो कि जैन धर्म के विभिन्न विषयों पर आधारित हैं। आप की जैन धर्म साहित्य व संस्कृति को महान देन हैं
99
.