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तल्लीन रहे, जिसका परिणाम यह निकला कि पुत्र निर्विष होकर खड़ा हो गया। इसलिये तो कहा है
"विघ्नौघा प्रलयं यान्ति, शाकिनी भूत पन्नगाः ।
विषं निर्विषतां याति, स्तूयमाने जिनेश्वरैः ।।" जिनेन्द्र भगवान् के स्मरण, स्तवन करने से विघ्न, प्रलय, डाकिनी-शौकिनी, भूत-प्रेत सभी पलायन कर जाते हैं। विष निर्विषता में परिवर्तित हो जाता है। झांसी जिला के जखौरा गाँव के एक अब्दुल रज्जाक नामक मुसलमान ने लिखा है- मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि जो भी णमोकार मंत्र पर श्रद्धा रखेगा, वह समस्त संकटों से बच जायेगा क्योंकि ये बातें मेरे ऊपर गुजर चुकी हैं।
उसने लिखा है- मैं रात्रि में णमोकार मंत्र पढ़कर सोता हूँ। एक बार ठंडी के दिनों में मैं सो रहा था। मुझे रात्रि में चार बार स्वप्न आया कि उठ, सर्प है। मैं चारों बार उठा, उजाला किया और फिर से सो गया। जब सुबह उठा तो देखा रजाई के सहारे एक बड़ा सर्प नीचे उतरकर चला गया । मैं चार बार उठा, पर जिधर सर्प था उधर से एक बार भी नहीं उठा। यह णमोकार मंत्र का ही प्रभाव है।
मेरे मम्मी-पापा झांसी में रहते हैं। जब मेरी समाजवालों को पता चला कि मैं जैनधर्म को मानने लगा हूँ तो उन्होंने मुझे झांसी बुलाकर एक मीटिंग की। मैंने उनके सभी प्रश्नों के उत्तर दिये। मुसलमान कट्टरपंथी होते हैं। किसी ने कहा ऐसे व्यक्ति को तो जान से मार देना चाहिए, पर धर्म परिवर्तन नहीं करने देना चाहिए।
उसने लिखा है- मैं अपने मम्मी-पापा के यहाँ अलग कमरे में रहता हूँ और उनके हाथ का बनाया हुआ भोजन भी नहीं करता। उस दिन मैं दोपहर में अपने कमरे में सामायिक कर रहा था तो देखा कि एक बहुत बड़ा काला सर्प मेरे कमरे में चारों तरफ घूम रहा है। जब मैं सामायिक करके उठा तो वह सर्प चुपचाप बाहर चला गया। मैंने दरवाजे पर देखा तो वहाँ एक बर्तन रखा था, जिसे देखकर मैं समझ गया कि यह सर्प मुझे मारने के लिये लाया गया था। उस सर्प ने जो व्यक्ति सर्प लाया था उसके ही इकलौते बेटे को काट लिया।
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