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पास पहुंचा और अपनी माता की मूर्खतापूर्ण हठ के कारण आई हुई उलझन-सुलझाने के लिये कलेक्टर की सहायता माँगी। अंग्रेज कलेक्टर हँसा और उसने फोन उठाकर पुलिस सुपिरिन्टेन्डेन्ट से उस पण्डे को हवालात में बन्द कर देने को कहा।
पण्डा हवालात में पहुँच कर रानी के आभूषण लेने पर राजी हो गया, परन्तु पुलिस सुपिरिन्टेन्डेन्ट ने कहा कि अब सौदे का रुख पलट गया है, अब जरा तुम यहाँ की वायु सेवन करो। तब पण्डा रकम क्रम से 10 हजार, 5 हजार, 2 हजार, आदि घटाता गया और रात भर हवालात में रहने पर 500 रुपये लेने पर राजी हो गया। पुलिस सुपिरिन्टेन्डेन्ट ने कलेक्टर की अनुमति लेकर उस राजा से पण्डे को 500 रुपये दिलाकर हवालात से बाहर किया।
इस तरह धर्म के नाम पर स्वार्थी लोगों ने अनेक प्रकार की अन्ध परम्परायें चालू कर रक्खी हैं। अन्धविश्वासों के कारण ठग लोग जन्त्र-मन्त्र के नाम पर नाना प्रकार से लोगों को ठगते हैं।
एक व्यक्ति बहुत दुःखी था, क्योंकि उसके घर में दीमक बहुत लगती थी। यहाँ तक कि कपड़ों में, खाने-पीने की वस्तु में भी दीमक लग जाती थी। एक दिन उस गाँव में एक ढोंगी पंडित आया और कहने लगा कि किसी भूत-प्रेत का प्रकोप है, मैं उसे दूर भगा देता हूँ। वह व्यक्ति बोला- "पंडित जी! पता नहीं किसका प्रकोप है ? मेरे घर में दीमक बहुत लगती है। कृपाकर आप चलकर देख लें।" वह गया, वहाँ जाकर कहता है कि किसी जिन्द का प्रकोप है।
वह व्यक्ति कहता है – “अब क्या होगा पंडित जी?" पंडित बोला आप चिंता न करें। मैं जैसा कहूँ, वैसा करें। आप सब अपनी आँखें बन्द कर लें, तब मैं उस जिन्द को घर से निकाल लूँगा, सबने अपनी-अपनी आँखें बन्द कर लीं। पंडित घर में गया और जितना भी सोने-चाँदी का जेवर था, वह एक मटके में भर लिया। बाहर आया तो उन लोगों से
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