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रुपये पारितोषिक में प्रदान किये। बूढ़े के नेत्रों में हर्ष के आँसू आ गये और गद्गद् स्वर में बोला कि महाराज ! मुझे आम का बीज बोते ही उसके 50 रुपये के मीठे फल मिल गये।
इसी तरह यदि कोई मनुष्य बबूल का बीजारोपण करे तो कालान्तर में उसको काँटेदार बबूल का पेड़ मिलता है, जिसकी न तो घनी छाया होती है, न जिस पर खानेयोग्य मीठे फल लगते हैं। हाँ, लम्बे नुकीले कॉटे उस पर अवश्य लगते हैं, जो कि शरीर में कहीं भी चुभ जाने पर बहुत दुःख देते हैं।
बबूल का बीज बो कर किसी को आम नहीं मिला करते।
ठीक इसी प्रकार जो जीव पापमार्ग से बचकर सुमार्ग पर चलता है, किसी अन्य प्राणी को कोई कष्ट नहीं देता, असत्य बोलकर किसी को धोखा नहीं देता, किसी के साथ विश्वासघात नहीं करता, किसी को कठोर वचन नहीं कहता, गाली-गलौज नहीं करता, हित-मित-प्रिय वचन बोलता है, किसी की कोई वस्त नहीं चराता डाका नहीं डालता अपनी विवाहित नारी के सिवाय अन्य सब नारियों को माता-बहिन-पुत्री की दृष्टि से देखता है, अपनी आवश्यकता के अनुसार न्याय-नीति से धन-संचय करता है। अनीति, बेईमानी, छल बल से अन्य व्यक्ति को पीड़ा पहुँचाकर धन उपार्जन नहीं करता, न्याय से उपार्जित ६ न द्वारा दूसरों का उपकार करता है, कभी अभिमान नहीं करता, क्रोधकषाय को उग्र नहीं होने देता, इन्द्रियों का दास नहीं बनता, विषयभोगों की कीचड़ में नहीं सना रहता, वह मनुष्य अपने शुभ कृत्यों के कारण शुभ कर्मों का बीज बोता है, अतः जब उसके वे शुभ कर्मों के बीज वृक्ष बनकर फल देते हैं तो उसे सुखदायक मीठे फल यानि सांसारिक सुख मिलते हैं।
तथा जो व्यक्ति अपने स्वार्थसाधन के लिये अथवा मनोरंजन के लिये या द्वेषभावना से अन्य प्राणियों को कष्ट पहुँचाते हैं, शिकार खेलते हैं, मांस खाते हैं, दीन-दरिद्रियों को दुःख देते हैं, दूसरों को विपत्ति में पड़ा हुआ देखकर हर्षित होते हैं, सदा मुख से दुर्वचन बोलते रहते हैं, झूठ बोलना, विश्वासघात करना, मीठी बातों में फँसाकर दूसरों को हानि पहुँचाना, सदा अभिमान भरे कटुक कठोर वचन बोलना, चोरी करना, डाका डालना, परस्त्री अपहरण करना,
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