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यह सुनते ही किसान को बड़ी जिज्ञासा हुई। उसने मित्र से पूंजी पूछा, तब मित्र ने बताया कि हंस का कोई निश्चित स्थान नहीं है। वह कहीं पर भी दिखाई पड़ सकता है। इसके लिये तुम्हें जल्दी उठकर प्रतिदिन अपने सारे घर का, खेत एवं गौशाला इत्यादि का चक्कर लगाना पड़ेगा। कभी-न-कभी सौभाग्य से तुम्हें उस हंस के दर्शन अवश्य ही हो जायेंगे।
दूसरे दिन किसान सूर्योदय से पूर्व ही उठा और हंस को खोजने खलिहान में गया तो उसने देखा कि सबेरे-सबेरे उसका चाचा चुपके से बोरे में अनाज भर रहा है। किसान को देखकर वह बहुत लज्जित हुआ और क्षमा माँगने लगा।
उसके बाद जब वह गौशाला में गया तो वहाँ भी अपने ही परिजनों को दूध | चुराते देखा तो किसान ने उन्हें खूब फटकारा। वे भी शर्मिन्दा हुए। जब गौशाला में भी हंस के दर्शन नहीं हुए, तब वह सफेद हंस की खोज में खेत में गया। वहाँ जानवर चर रहे थे और नौकर आराम से सो रहे थे। यह देखकर किसान बहुत क्रोधित हुआ और उसने नौकरों को खूब डाँटा और वह घर लौट आया।
इस तरह किसान प्रतिदिन हंस की खोज में सभी जगह जाता रहा। परिणाम यह हुआ कि हर जगह पर नौकर किसान के भय से अपने-अपने काम में लगे रहते थे कि कहीं मालिक ना आ जाये। दूसरा परिणाम यह निकला कि रिश्तेदारों ने चोरी करना बंद कर दी। तीसरा परिणाम यह हुआ कि घूमने-फिरने से किसान का स्वास्थ्य भी ठीक रहने लगा। इस प्रकार धन की वृद्धि भी हुई, परन्तु सफेद हंस कहीं नहीं दिखा। __ इस प्रकार छ: महीने तक भी जब सफेद हंस के दर्शन नहीं हुए तो वह परेशान होकर मित्र के पास गया। मित्र ने कहा-कहो, कैसे आना हुआ? वह बोला-मुझे कोई दूसरा उपाय बताओ, क्योंकि इतने दिन हो गये हैं, पर सफेद हंस के दर्शन तो नहीं हुए।
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