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के पिछले रास्ते से बीरबल के घर पहुँच गई। बीरबल ने बेगम मलिका को इस वेष में देखा तो मन-ही-मन बड़ा हैरान हुआ।
बेगम ने बड़े मीठे स्वर में कहा-कल रात मेरे और बादशाह के बीच विवाद हो गया। मैंने उस विवाद में यह कहा कि स्त्रियाँ भी बुद्धिमान होती हैं। इस बात पर उन्होंने कहा कि यदि ऐसा है तो मैं तुम्हारी परीक्षा लेना चाहता हूँ। उन्होंने मुझ से एक प्रश्न पूछा कि संसार में सबसे प्यारी वस्तु कौन-सी है? मुझे विश्वास है कि आपकी बुद्धि के खजाने में इस प्रश्न का उत्तर अवश्य होगा।
बीरबल ने कहा-संसार में सबसे प्यारी वस्तु स्वार्थ है। बेगम उत्तर पाकर खुश हो गई और राजमहल की ओर चल पड़ी। वह मन-ही-मन सोच रही थी कि आज तो मैंने बुद्धिमान बीरबल को भी मूर्ख बना दिया।
दूसरे दिन बेगम का भाई दरबार में पहुँचा और अपनी सफाई पेश करते हुए बोला-जहाँपनाह! कल दरबार से बाहर निकलते ही मुझे प्रश्न का उत्तर मिल गया था कि संसार में सबसे प्यारी वस्तु स्वार्थ है। अकबर ने पूछा कि वह कैसे? बादशाह का यह प्रश्न सुनते ही उसका सिर चकराने लगा और उसे दिन में तारे नजर आने लगे। अकबर ने उसे सोचने के लिए फिर एक दिन का अवसर दे दिया। इस घटना की चर्चा बीरबल तक भी पहुंच गई जो अस्वस्थता के कारण उस दिन भी दरबार में उपस्थित नहीं हो सका था।
बेगम मलिका ने अपने भाई की समस्या सुलझाने के लिए नौकरानी का वेष धारण किया और बीरबल के घर पहुँच गई। भोलेपन का अभिनय करते हुए उसने अपने प्रश्न का उत्तर पूछा। तब बीरबल ने कहा कि इस 'कैसे' का उत्तर तो मुझे भी ज्ञात नहीं है। मलिका के बार-बार आग्रह करने पर बीरबल ने कहा कि यदि हुक्का पीते हुए मैं बगीचे की सैर करूँ तो शायद मुझे उत्तर मिल सकता है।
यह सुनकर बेगम ने कहा कि आप अवश्य ही बगीचे में सैर कर आयें तब तक मैं आपकी प्रतीक्षा करती रहूँगी। बीरबल ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि हमारे सारे नौकर छुट्टी पर हैं, अतः हुक्का उठानेवाला कोई सेवक उपस्थित नहीं है। बेगम ने मन-ही-मन सोचा कि मैं तो दासी के कपड़ों में आई हूँ, घूघट भी
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