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बीरबल का जो आदरणीय स्थान है, वह मेरे भाई को मिलना चाहिए ।
इतना सुनते ही बादशाह अकबर बेगम की बात को भी समझ गये तथा उसके भाई के इशारे को भी जान गये। परन्तु अपने भावों को छिपाते हुए उन्होंने कहा-'कल दरबार में इस विषय पर अवश्य विचार किया जायेगा। यह सुनकर मलिका बड़ी आश्वस्त हुई और शीघ्र ही अपने भाई को खुशखबरी देने पहुँच गई कि अब तेरा काम बहुत जल्दी बनने वाला है।
संयोग की बात थी कि दसरे दिन बीरबल अपनी अस्वस्थता के कारण राजसभा में उपस्थित न हो सका। बेगम का भाई जब दरबार में पहुँचा तो बादशाह अकबर ने मुस्कुराते हुए कहा-मैं आज तुम्हारी इच्छा के अनुसार तुम्हें बीरबल का सम्मानीय पद देना चाहता हूँ। शर्त सिर्फ इतनी है कि तुम्हें मेरे एक प्रश्न का उत्तर देना होगा।
बेगम मलिका के भाई ने बड़ी डींग हांकते हुए कहा-'जहाँपनाह! आप मेरे से कोई भी प्रश्न पूछ सकते हैं।' बादशाह अकबर ने पूछा कि संसार में सबसे प्यारी वस्तु कौन-सी है? प्रश्न सुनते ही बेगम के भाई के हाथों से मानों तोते उड़ गये और वह नीची दृष्टि डालकर अपना सिर खुजलाने लगा। बादशाह तो भली-भांति उसकी योग्यता को जानता ही था, फिर भी उन्होंने उसे सोचने के लिए एक अवसर दे दिया।
वह राजसभा से उठकर सीधा अपनी बहन मलिका के पास पहुँचा। वह तो बधाई देने के लिए कब से भाई की प्रतीक्षा कर रही थी। उसको देखते ही हर्षपूर्ण स्वर में उसने कहा-लो भैया! अब तो मानोगे कि बहन ने तुम्हारा काम कर दिया। यह सुनते ही वह खीझकर बोला-तुमने मेरा काम कर दिया या मुझे मुसीबत में डाल दिया? दरबार की सारी बात बताकर उसने कहा कि यदि मैं इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाया तो मेरी वर्तमान की नौकरी भी चली जायेगी। यह सुनकर मलिका भी चिंतित हो गई। कुछ सोच-विचार कर उसने कहा-भैया! तुम ऐसा करो कि मुझसे चार घंटे के बाद मिलना, मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर अवश्य खोज लाऊँगी। कुछ देर बाद मलिका ने एक नौकरानी का वेष धारण किया और राजमहल
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