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________________ करेंगे। सेठ जी प्रतिदिन कहते और साधु जी वही उत्तर देते। एक दिन साधु जी के मन में आया कि आज सेठ जी के यहाँ से भोजन लेंगे। उन्होंने अपने साथ एक टिफिनकैरियर लिया। साधु जी सेठ की दुकान पर जाकर बोले“बच्चा! आज हम भोजन तुम्हारे घर लेंगे। सेठ जी ने अपना धन्यभाग्य समझा। सेठ जी साधु जी को घर ले गये । साधु जी ने अपना टिफिनकैरियर भोजन परोसने के लिए दे दिया । टिफिनकैरियर जब खोलकर देखा तब पाया कि उसके हर डिब्बे में कुछ-कुछ भरा है। किसी में मिट्टी, किसी में रेत, किसी में भूसा, किसी में पत्थर के टुकड़े। यह देखकर सब आश्चर्य करने लगे । साधुजी बोले - "क्या बात है ? आप लोग इसी में भोजन परोस दो ।" यह सुनकर सब लोग एक दूसरे की तरफ देखने लगे। साधु जी बोले - "अरे ! इसी में भोजन परोस दो ।" हिम्मत करके घर के लोग बोले- "साधु जी ! भोजन अपवित्र हो जायेगा । खाने के योग्य नहीं रहेगा।" साधु जी कहने लगे- "भोजन मुझे करना है, तुम परोस दो", पर किसी की हिम्मत भोजन परोसने की नहीं हुई । अन्त में साधु जी ने कहा- "आप लोग क्या चाहते हो?" घर वालों ने कहा, "साधु जी पहले डिब्बे को साफ करेंगे, उसके बाद भोजन परोसा जायेगा ।" सबने ऐसा ही किया। साधु जी भोजन लेकर चले गये । कुछ दिन बाद सेठ जी ने सोचा कि साधु जी ने भोजन तो घर से ले ही लिया, अब तो जान-पहचान हो गई है, अतः कुछ कृपादृष्टि की बात हो जाए । एक दिन सेठ जी साधु जी के पास गए और कहने लगे, साधु जी! हमारे ऊपर कुछ कृपादृष्टि कर दो। साधु जी बोले - " बच्चे ! तुझे उस दिन की घटना याद है या नहीं, जिस दिन मैं भोजन लेने तुम्हारे घर गया था? तुम लोगों ने मेरे टिफिन में भोजन टिफिन साफ किये बिना नहीं परोसा था और कहा था कि बिना साफ किये भोजन अपवित्र हो जायेगा, खानेयोग्य नहीं रहेगा। उसी प्रकार तुम पहले अपने अन्दर से मिथ्यात्व रूपी कूड़े-करकट को दूर करो, तभी हम सम्यग्दर्शन आदि धर्म के अमृत की बात बतायेंगे । 12 S
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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