________________
६३८
लघुविद्यानुवाद
धौली (सफेद) चिणोठी, (गुजा) सफेद रीगणी, (सफेद भट कटैया) की जड लेकर चूर्ण करे फिर मनुष्य की खोपडी पर काजल उपाडकर नेत्र मे अजन करने से अदृश्य होता है।
बिच्छु काटने पर उसे अपामार्ग की जड को दिखा देने मात्र से जहर उतर जायगा, अगर अधिक जहरीला है तो अपामार्ग की जड को व पत्तो को पीसकर काटे हुए स्थान पर लगा देने से बिच्छु का जहर उतर जाता है।
लोद्र विभितिक, आमलक, व रुई के फल, इन सबको चतुर्या श जल घोटे और पाख मे अजन करे तो आख मे फूला का नाश होता है । रात्रिघता का नाश होता है।
पिडी, तगर की जड, गोरोचन के साथ ताबे के बर्तन मे रगड कर आख मे आजने से (अक्षिपुष्प नाशयति) याने प्राख का फूला नष्ट हो जाता है।
लाल चन्दन, मिरच, सम भाग लेकर पानी में पीस कर लेप करने से विस्फोटक का नाश होता है।
गडुची, हरिद्रा, दूर्वा, धूर्य से, समभाग, गुटिका क्रियते से सर्व बणोपशम करोति प्रलेपन ।
रविवार के दिन सफेद कनेर की जड को लेकर कुसुम्भ डोरे से बाघ कर वाम हाथ मे बांधने से (मर्कटिका) का नाश होता है।
लगडे आम की जड को कमर मे बाघने से पुरुष का वीर्य स्थभित होता है। मकोय की जड को कान मे बाधने से रात्रि मे आने वाला ज्वर नष्ट होता है । सफेद चिरमी की जड घिस कर सू घे तो आधा शीशी रोग नष्ट होता है । पार्श्वपिप्पल फलानि एक वर्णे गो दुग्धेन प्रस्तावे स्त्रिय पानेदात व्यानि (पुत्रोत्पत्ति कृत) काक जगा की जड को एक वर्ण की गाय के दूध मे पीवे, निश्चित ही गर्भ रहे।
भृगराज रस, पली १ (एक छटाक) काच कर्पूर गठियाणउ १ (कपूर) गाठियउ १ ऋतु स्नाने दिन त्रयस्त्रीपाय्यतेत्तछिनत्रये श्वेत वर्ण गो दुग्धक्षीरेयी भोजन कार्य अन्यकेकिमपिन भोक्तव्य पुत्रोत्पत्तिर्भवति दृष्टप्रत्ययः ।
मातुलिग (बिजोरा) के बीज की दूध के साथ खीर बनाकर घी के साथ पीवे तो स्त्री को निश्चित ही गर्भ रहे विन्तु ऋतु समये तीन दिन खाना चाहिये ।