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लघुविद्यानुवाद
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गेरू, (ही-डमीस) विद्रग, पीपली, समभाग लेकर पीसे फिर सभोग के समय पान करने से स्त्री गर्भवान होती है।
___ रविवारे अष्टमी निशीथ समसे वाटिकिया जाती पत्र सरडक मेक गृहीत्वा एक वर्ण गोक्षीरेण सहपीयतेरितु समये गर्भधारयति ।
वासक, त्रिफला, शर्करा, मुलेठी को समभाग लेकर पीसकर रितु समय मे यदि स्त्री पीये तो गर्भवान हो।
श्वेत रीगणी मूल पुष्य नक्षत्र मे लेकर एक वर्ण की गाय के दूध म पीवे तो वन्ध्या भी पुत्रवान होती है।
मयुरशिखा की जड़ को तीन दिन दूध के साथ पीने से स्त्री पुत्रवान होती है। लक्षमणा भाग ३ उभयलिगी भाग ४ विरहाली भाग ६ सव एकत्र करके गाय के दूध म पीसकर ऋतु समय मे स्त्री को पिलाने से पुत्र होता है।
श्वेत पुनर्नवा मूल को दूध के साथ घिसकर पिलाने से स्त्री को गर्भ रहता है ।
मेढसिगी, वच, राल, खस, चन्दन और छोटी इलायची, इन सवको समभाग लेकर, कूट पीस कर छान ले तथा पहनने के कोई वस्त्र के ऊपर उ रोक्त चूर्ण की धूनी दे तो देखने वाला देखते ही प्रसन्न होता है, अधिकारी वश मे हो जाते है।
यस्यलिगे पापाण निरोधोवभति (जिसके मूत्राशय मे पथरी हो) तस्य (काला नमक) कृष्णलवणन सहसुरापान दीयत्त साम्यत्र जत्ति ।
अपकतिल नाल भस्म गृहीत्वा दुग्धेन माक्षिकेन सहपान दीयते स एव पाखापान लिग पीडा नाशयति ।
सखाहुली की जड और गाय का शृग (सीग) को बाधने से स्तन रोग का नाश होता है। काक जगा को जड और उपलउ (पापाण) दोनो को जल के साथ पीसकर नस्य दे अथवा पिलावे तो सर्प का जहर उतर जाता है ।
कविठ्ठ की जड, नमक और तेल, इनको पिलाने से विच्छ का जहर उतर जाता है । तिल को जड़, अनार की छाल, समभाग लेकर ठडे जल से पीसकर गटिका बनावे पीलावे विन्छु क्र. जहर का नाश करता है।