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________________ लघुविद्यानुवाद ६३७ - नहीं होता है और उस गोली की शस्त्र मे लेपन करने से शत्रु की सेना उस शस्त्र को देखकर ही भाग जाती है । ५६ । विष्णु काता का बीज मे से तेल निकाले यन्त्र से, फिर उस तेल मे विष भी मिलावे तेल, और अफीम, गधे का पेशाब, धतुरे के बीज का चूर्ण, हरताल, मैनशिल, गन्धक, इन सब को लेकर घोटकर पाच छटाक का गोला बनाकर रख लेवे । जब युद्ध का काम पडे तब अपने शस्त्र पर उस गोले का लेप कर युद्ध मे जावे तो शत्रु की सैन्य उस शस्त्र को देखते ही भयभीत होकर भाग जावे, और अपने पर दूसरो का शस्त्र चल नही सकता है । ५७ ।। श्मशान की राख को एक मिट्टी के बर्तन मे भर कर शत्रु का नाम लेकर नील के रग मे रगे हुए डोरे से उस बर्तन को बाध कर गाड देवे तो शत्रु की सैन्य का स्तम्भन हो जाता है । ५८ । भिडी की जड को धरण (नाभि) पर थोडे समय तक रखे तो धरण ठिकाने आवे । श्वेत अपराजिता की जड को हाथ मे बाधने से हाथी का भय नही होता है। दो ईट श्मशान की आग सहित लेकर जगल मे गाड देवे तो मेघ का स्तम्भन होता है । मूल गृन्हाति मधुक, पिष्टानिशि समाचरेत् । निद्रास्तभन मेतद्धि, मूल देवेन भापित । भरवा क्षीर काष्टाना कील पचागुलिक्षिपत्नौकास्तभन मेतन्मूलदेव न भाषित । रविवार के दिन सती होने वाली स्त्री की चिता मे ईट घर आवे फिर तीसरे रविवार जाकर उस ईट को ले जिसके घर मे डाल दे अथवा खोद दें तो उसके घर मे पत्थर बरसने लगते है। उल्लू के आख का पानी और कालि जो, मशान की भस्म, गाय की लगी, इन सब चीजो को मिलाकर गोली बनावे उस गोली को सोने या चादी के तावीज मे भर कर पास रखे तो अदृश्य होता है । स्वय सबको देखता है और स्वय को कोई नही देख पाता। एक वर्ण का काला कुत्तों को पकड कर उपवास करावे, स्वय भी उपवास करे, दूसरे दिन दूध और क ला तिल, उस कुत्ते को खिलावे, जब कुत्ता टट्टी करेगा, उस टट्टी मे से काले तिल को निकाल कर तिल मे से तेल निकाल कर यन्त्र मे नही गया, कपास की बत्ती बनाकर उम बत्तो को डाल कर दीपक जलावे और काजल उपाड़कर ग्राख मे अजन करे तो मनुष्य अग्य हो जाता है।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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