SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 521
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४५८ विधि लघुविद्यानुवाद ॐ नमो अमृत कुंडली प्रभुकं याही २ ज्वल २ तृष्ण २ बंध २ भंज २ सर्व विघ्नौघ विनाशकाय महागणपती ++ + अमुकस्य जीव हराय स्वाहा । मन्त्र शक्ते प्र ेपण मंत्र-ॐ नमो भगवतीः रक्त चामु डे मत्प्रजापाले कट २ श्राकर्णय २ ममोपरी चित्त भवेत फल, पुष्प, यस्य हस्ते ददामिस शीघ्र मागच्छ तु स्वाहा । - इस मंत्र का १००० जाप कर, फिर १०० पुष्पो से जप कर फल अथवा पुष्प को मंत्री करे । फिर जिसको दिया जाय वह शीघ्र ही वश्य होता है । करन्यांस मन्त्र — ॐ ठ ठ कराभ्या शोधनीय तर्जनागुलिना प्रत्येक सशोधन कार्य । तदनन्तर क्ष पादाभ्या स्वाहा । क्ष हृदये स्वाहा । क्षी शिरसि स्वाहा क्षू ज्वलित शिखायै वैपट् क्षा कवचाय वपट् हु क्ष बाहुभ्या स्वाहा । क्षै स्कचभ्या स्वाहा । क्षे नेत्राय वषट् क्षौ कर्णाय वपट् क्ष नेत्राय स्वाहा । क्ष प्रधाय स्वाहा । दशो दिशाओं से रक्षा करता है । मन्त्र -- ॐ ह्री बाहुबली लंब बाहु क्षां क्षी क्षू क्षे क्षौ (उद्ध) क्षत्रुर्द्ध पूजां कुरू २ शुभाशुभं कथय स्वाहा । यह मन्त्र दस हजार जाप करने से सिद्ध होता है । -ॐ कट विकट कटे कटिधाररणी ठः ठः परिस्फुट वादिनी भंज २ मोहय २ स्तंभय २ वादी मुखं प्रतिवादि मुखं, शलय मुखं, प्रतिशल्य मुखं, कीलय २ पूरय २ भवेत + + + अमुकस्य जयं । विधि :- इस विद्या को कार्य पर जप करने से वादी का मुख स्तभित होता है और विजय प्राप्त होती है । काटे वाले वृक्ष के नीचे इस मन्त्र को ८००० जपने से यह मंत्र सिद्ध होता है और विजय प्राप्त होती है इसको कटकारी महाविद्या कहते है । (२) देवदत्त की मूर्ति का आकार बनावे, फिर छह दिशाओ मे को लिखे, विदिशाओं मे क्ली लिखे, फिर ऊपर ग्राठ कोठो मे क्रमश जूभे मोहे आदि लिखे, मोह विषत दष्टाग्रा ब्रह्माकार मास्थित । ॐ ब्ले धात्रै वपट् फट् वाह्य क्षिति मंडल टर्वा लाछण च चड कोणेपु लकार मालिख्य इन पक्तियो का अर्थ समझ मे नही आया है, इसलिये यन्त्र रचना नही की गयी है ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy