________________
३७८
लघुविद्यानुवाद
यन्त्र न २४५
हाँ हाँ हाँ
हाँ हाँ ह्रीं
का
'देवदत्त श्री हरस्वाहा
हाँही/
हाँ हाँ
इस यन्त्र को अष्टगन्ध से भोज पर लिखकर वाधे, तो निर्धन को धन की प्राप्ति हो ॥२४॥
यन्त्र न २४६
जं जं जं जं
जं जं जं.
जज ज ज जं.
जं जं
चन्दन, कस्तूरी, सिन्दूर, गौरोचन कपूर, इन चीजो से थाली मे यन्त्र लिखे, फिर थोडा सा एक बरनी गाय का दूध डालकर रूई से उस यन्त्र को पोछ लेवे, फिर उस रूई की बत्ती बनाकर दीपक में जलाना । जिसको प्रेत लगा हो वह पाता है ।।२४६।।