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लघुविद्यानुवाद
यन्त्र न. २१२
यन्त्र न. २१३
यह यन्त्र १०८ बार मौन सो लिखि भजि मे पुष्ट बेडी भाजि पडे ॥२१२॥
यन्त्र न.२१४
यह यन्त्र खडी सू थाली मे लिखि स्त्री ने दिखावे तो कष्ट सू छूटे ॥२१३।।
सा| लौं
/ॐ
मुं
यह यन्त्र घृत पात्र के नीचे राखे । पात्र चालजे तो मात्र माहि घृत बढे टूटे नही अष्ठगध सो लिखे ॥२१४।।
दु यु
नाम
/ॐ
यत्र न० २१५
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पानापाय नमः
अमुक मार्ग पर चक्र पागत स्तम्भ भवति स्वाहा। सत्य कुरु स्वाहा प्रबल स्थभो भवति । भोज पत्रे लिय शत्रु द्वारे प्रवेशे स्थाने वा लिख तथा भोज पत्रे लिखि त्वा सूत लपेटे आटा की गोली मध्ये घालिये मनुष्य कृपाले ॥२१५।।
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