SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 354
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६० लघुविद्यानुवाद इस यत्र का एक विधान और भी है । वह हमारे संग्रह मे नही है । परन्तु विधान यह है कि दीवाली की मध्य रात्रि मे लिखकर उसके सामने एक पहर तक का यत्र का ध्यान करे । और फिर वन खड में या बाग मे अथवा जलाशय के किनारे बैठकर यत्र के सामने एक पहर तक यत्र का ध्यान करे। जिससे यन्त्र सिद्ध हो जायगा क्रिया करते समय लोभान का धूप बनाकर रखना चाहिये तो यन्त्र सिद्ध हो जायगा और भी इन दोनो यन्त्र के कई चमत्कार है। श्रद्धा रखकर इष्ट देव का स्मरण करते रहना चाहिये जिससे कार्य सिद्ध होगा ।।४६।। यन्त्र न०४७ ६२ | १६ ३७ । ५५ । २४ । ४२ । ६० ८० । १७ । २८ । ३३ । ७८ । १५ ३ | ४८ । ६८ । ५ । ५० । ७० । ७ । ५२ । | ३६ । ५७ / २३ | ४१ २५ । ४३ । ६१ ३० । ७५ । १२ । ३२ | ७७ | १४ | ३४ | ७६ / १६ ६७ । ४ । ४६ । ७२ | १ | ५४ | ६५ / २ ४७ ४० । ५८ । २७ । ६३ । २० M | २३ । ७४ । ११ mr २६ ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy