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________________ लघुविद्यानुवाद २८३ यत्र न० ३६ ४७ वैसा ही फल मिलेगा-परन्तु उद्यम उपाय भी पुरुषो को बताए हुए है करने मे हानि नही है। अपने इष्ट देव को स्मरण करते रहे पुण्य प्राप्त करना सो क्रिया फल देगी। स्त्री गर्भ धारण करेगी, पूर्ण काल मे प्रसव होगा अपूर्ण समय मे गर्भ-पात नही होगा ऐसा इस यन्त्र का प्रभाव है । श्रद्धा विश्वास रखने से सर्व कार्य सिद्ध होते है । पुण्य धर्म साधन नीति व्यवहार से आशा फलती है ॥३६॥ ताप ज्वर पीड़ा हर एक सौ पांचवा यंत्र ॥३७।। यह एक सौ पाचवा यन्त्र है । ताप ज्वर एकान्तरा तिजारी को रोकने मे काम देता है। यन्त्र न०३७ २८ भोज पत्र पर या कागज पर लिख कर घागे डोरे से हाथ पर बाधने से ताप ज्वरादि मिट जाते
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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