________________
२७४
लघुविद्यानुवाद
नदी के किनारे या तालाब को पाल पर बाघ आसन बिछाकर बैठे । शुभ समय मे यन्त्र लिखे। लिखते समय दृष्टिं जल पर भी पडती रहे और लिखते समय धूप, दीप अखड रखे तो मन इच्छा पूर्ण होती है । इतना स्मरण रखना चाहिये कि ब्रह्मचर्य पालन मे सभ्यता का व्यवहार करने मे और
यन्त्र न २६
।
१४
शुद्ध सम्यक वृती से रहने मे किसी प्रकार से कमी नही होनी चाहिये। आचरण शुद्ध रखने से क्रिया साधन फल देती है ॥२६॥
ज्वर पीड़ा हर साठिया यन्त्र ॥२७॥ यह साठिया यन्त्र ज्वर ताप एकान्तर तिजारी आदि के मिटाने के काम में आता है इस तरह के डोरे धागे व यन्त्र बनवाने की प्रथा छोटे गावो मे विशेष होती है और जो लोग जिसमें श्रद्धा रखा
यन्त्र न. २७
२६
।
२