________________
'लघुविद्यानुवाद
२६३
रख कर इष्ट देव का स्मरण कर इस यन्त्र को आबे के पटिये पर एक सौ पाठ बार गुलाल छिड़क कर लिखे और विधि पूरी होने पर भोज पत्र या कागज पर, अष्ट गध से लिखकर यत्र को अपने पास मे
K
K.. -20
रखे। जिसके लिये यन्त्र बनाया हो उसका नाम यन्त्र मे लिखे अर्थात् मनुष्य के श्रेयार्थ ऐसा लिख शुभ समय मे हाथ मे चावल या सुपारी ले कर यत्र सहित देवे । लेने वाला लेते समय तो आदर से लेवे, और कुछ लेने वाला भेट यन्त्र के नाम से कर धर्मार्थ खर्च करे। यह यन्त्र शुभ फल देने वाला है। शाति पुष्टि प्रदायक है। श्रद्धा रख कर पास में रखने से फलदायक होता है। यत्र न ११
क. यत्र न ११
बाल रक्षा बीसा यन्त्र ॥१२॥ इस यन्त्र की योजना मे एक अक्षर बाये से दाहिने ओर का एक खाना बीच मे छोडकर दो बार पाया है जो रक्षा करने मे बलवान है। इस यन्त्र को शुभ योग मे भोज पत्र या कागज पर प्रष्ट गध से अनार की कलम से लिखे और लिखने के बाद भेट कर ऊपर रेशम का धागा लपेटते हए नौ प्राटे लगा देवे। बाद मे धूप खेवे मादलिये मे रखे। गले में या कमर पर जहाँ सुविधा हो