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लघुविद्यानुवाद
शुद्ध कलम से बनाकर एक अक छट्ट खाने है वहा से शुरुआत करे। सातवे खाने में दो का प्रक दूसरे मे तीन का अक इस तरह चढते अक लिखना चाहिये और बाद मे चन्दन या कु कुम से पूजा कर पुष्प चढाना धूप खेय कर नैवेद्य फल चढा कर हाथ जोड लेना चाहिये यही इसका विधान है। यत्र लिखते समय जहाँ तक हो सके श्वास स्थिर रख मौन रहकर लिखना चाहिए और हो सके तो नित्य धूप खेय कर नमन कर लेना चाहिए ॥२॥
वशीकरण पंदरिया यन्त्र ॥३॥
यह पदरिया यत्र भोज पत्र या कागज पर पच गध से लिखना चाहिए। विशेषकर शुक्ल पक्ष मे पूर्व तिथि के दिन शुभ नक्षत्र मे घी का दीपक सामने रख, धूप खेयकर चमेली की कलम से
यन्त्र न ३
यन्त्र न ४
लिखना और इस यत्र को पास रखना चाहिए। शीघ्र से सिद्ध करना है तो जिस काम पर काम करना है प्रात काल मे यन्त्र को धप से खेवे और कार्य का नाम लेवे। यन्त्र को नमन कर पास में ले कार्य सिद्धि हो जाती है ॥३॥
उच्चाटन निवारण पन्दरिया यन्त्र ॥४॥
यह यन्त्र उच्चाटन या उपद्रव को नाश करने में सहायक होता है। प्राचीन समय से पद्धति चली ग्राती है कि इस यत्र को दिवाली के दिन दकान के दरवाजे पर लिखते हैं पार इस को लिखने का कारण यही है कि भय का नाश हो और सुख सम्पदा आवे। लिखते समय धूप, रखना और सिन्दूर से चमेली की कलम से लिखना चाहिए। दरवाजे के सिरे पर कोई मागाला स्थापन हो तो उसके दोनो तरफ लिखना। स्थापना न हो तो दरवाजे मे जाते दाहिना तर