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________________ २३८ लघुविद्यानुवाद मन्त्र -ॐ ह्रीं श्रीं वद् २ वाग्वादिनी भगवति सरस्वती ही नमः । विधि .--१२००० जप इस मन्त्र का करके दशाश होम करे, सूर्य या चन्द्र ग्रहण मे वेला, वच, मालकागणी, इन चीजो को १०८ बार मन्त्रित करके जिस बालक की खिलावे उसकी बुद्धि का विकास होता है। ॥० ॥ गरगधर वलय से सम्बन्धित ऋद्धि मन्त्र व फल ॐ णमो प्ररहताणं णमो जिरणाणं ह्रां ह्री ह ह्रौ ह्रः अप्रतिचक्र फट विचनाय स्वाहा ॐ ह्रीं अर्ह असि पाउसा नौ २ स्वाहा । एतत् सर्व प्रयोजनीयम्, विसूचिकाशान्ति र्भवति ॥१॥ ॐ रणमो अरहंतारणं गमो जिरणारणं हां पुष्प १०८ जपेत् ज्वरनाशनम् ॥२॥ णमो परमोहिजिणारणं हां शिरोरोगनाशनम् ॥३॥ । णमो सव्वोहिजिणारणं ह्रां अक्षिरोगनाशनम् ॥४॥ रणमो अणंतोहिजिरणारण कर्णरोगं नाशयति ॥५॥ रगमो कुट्ठबुद्धीरणं शूल-गुल्म-उदररोगं नाशयति ॥६॥ णमो बीजबुद्धीरणं श्वास-हिक्कादि (होचकी) नाशयति ॥७॥ णमो पदाणुसारीणं परैः सह विरोधं कलहं नाशयति ।।८।। रगमो संभिन्नसोयारणं कासं नाशयति ॥६॥ णमो पत्ते यबुद्धाणं प्रतिवादिविद्याच्छेदनम् ॥१०॥ णमो सयंबुद्धारणं कवित्वं पाण्डित्यं भवति ॥११॥ णमो बोहिबुद्धारणं अन्यगृहीते श्रुत एक संधो भवति ५२ दिन यावज्जपेत् ॥१२॥ णमो उज्जुमदीरणं शान्तिकं भवति, दिन २४ यावज्जपेत् ।।१३।।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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