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________________ लघुविद्यानुवाद २३७ मन्त्र :-ॐ ह्रीं कौ सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्रातर गात्राय चतुरशिति गुरण गरणधर चरणाय अष्ठचत्वारिंशत गणधर वलाय षट्त्रिंशत गुण संयुक्ताय णमो प्राइरियारणं हं हं स्थिरं तिष्ठ २ ठः ठः चिरकालं नंदतु यंत्र गुरग तत्र गुणं वेदयुतं अनंत कालं वर्द्ध यन्तु धर्माचार्या हुं हुं कुरु कुरु स्वाहा, स्वाहा। विधि :- इस मन्त्र को भी प्रतिमा के सामने सात बार पढे । प्रत्येक शासन देव सूर्य मन्त्र मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ह्रां श्रीं वं सर्वज्ञाय प्रचण्डाय पराक्रमाय वटुक भैर वाय अमुक क्षेत्रपालाय अत्र अवतर २ तिष्ठ २ सर्व जीवानां रक्ष २ हूं फट् स्वाहा। विधि :-इस मन्त्र से जिस क्षेत्रपाल की प्रतिष्ठा करनी हो, उस क्षेत्रपाल की मूर्ति के कान मे २७ बार पढे। पद्मावती प्रतिष्ठावायक्षिणी प्रतिष्ठा सूर्य मन्त्र मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लू ऐ श्री पद्मावती देवी (व्य) अत्र अवतर २ तिष्ठ २ सर्व जीवानां रक्ष २ हूं फट् स्वाहा । विधि :-कोई भी देवी की प्रतिष्ठा करनी हो तो इस मन्त्र को जिसकी प्राण प्रतिष्ठा होनी है, उस मूर्ति के दोनो कानो मे २७-२७ बार पढना चाहिये । धररगेन्द्र अथवा यक्ष प्रतिष्ठा सूर्य मन्त्र मन्त्र :--ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ब्लू ऐं श्री धरणेन्द्र देवताये अत्र अवतर २ अत्र तिष्ठ २ सर्व जीवानां रक्ष २ हूं फट् स्वाहा। विधि .-इस मन्त्र को यक्ष मूर्ति के कान मे २७-२७ बार कान मे पढने से प्रतिष्ठा हो जायगी। मन्त्र -ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वद् २ वाग्वादिनीभ्योनमः । विधि :-कुमकुम कपूर के साथ सूर्य ग्रहण मे जिह्वाग्रे लिखित्तस्य नरस्य वाग्वादिनी सतष्टा भवति ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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