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लघुविद्यानुवाद
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विधि -बार २१ तथा १०८ पानी को चुल्लू मन्त्र मुख धोवे राजद्वार जाय सर्व सभा वश्य । कार्य
सिद्धि होय। मन्त्र :-ॐ नमो रत्नत्रयाय अमले विमले स्वाहाः । विधि :-हस्त वाह नात् अभि मन्त्रय जल दानात् सर्प विष जाय । मन्त्र :-ॐ ब्लीं ब्लीं सा दुग्ध वृद्धि कुरु २ स्वाहाः । विधि :-चावल की खीर मन्त्रित कर खिलावे, दुग्ध स्तनो मे बढे । मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कलिकुंड स्वामिन् अमुकस्य गर्भ मुंच २ स्वाहा । विधि :-अनेन मन्त्रेण तैलमभिमन्त्रय ऋष्यते सुखेन प्रसवति । मन्त्र :--ॐ रक्ते रक्तवती ह्रफट् स्वाहा । विधि :-रक्त कण वीर पुष्प २१ जाप्य कृत्वा देव रक्त स्त्री कण्ठे बधनीय । रक्त स्रावे हरति । मन्त्र -ॐ ह्रीं कमले कमलोद्भवे स्वाहा । विधि -बार २१ चने की दाल, खारक मन्त्री दीयते कमल वाय जाय । मन्त्र :-ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय अपराजित शासनाय चमर महा भ्रमर-भ्रमर
रूज रूज भुज २ कड़ सर्व ग्रहान् सर्व ज्वरान् सर्व वातान् सर्व पीड़ान सर्व भूतान् सर्व योगिनी सर्व दुष्टान्नाशय क्षोभय २ ॐ कः धः मः यः र क्षि क्षं
सर्वोपसर्गान्नाशय २ हुं फट् स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से कल वाणी करके पिलावे सर्व रोग दोष पीडा भूत उपद्रव जाय सही। मन्त्र -ॐ रामो अरहंतारणं ॐ णमो भगवऊ पास जिणंदस्स अलवेसर २ प्रागच्छ
२ मम स्वप्ने शुभाशुभ दर्शय २ स्वाहा।। विधि -प्रथम पूर्व मुख दीप, धूप विद्यानेन १६००८ जपे । कार्य काले २१, १०८ जप सोवे,
शुभाशुभ आदेश स्वप्न मे होय सही।
अष्ट गंध श्लोक मन्त्र :--चन्दनो सीर कर्पूरा गुरू काश्मीर काम दै ।
गोरोचन जरा मांसी युक्त गंधाष्टकं विदुः ॥