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लघुविद्यानुवाद
ॐ नमो भगवते चन्द्र प्रभावभित् सर्व मुख रंजनि स्वाहा । प्रभाते उदकमभिमन्त्रय अमुकं प्रक्षालयेत् ।। ___सर्व जन प्रियो भवति ।
ॐ नमों कपाली ज्वलिते लोहित पिंगले स्वाहा ॥ विधि -इस मन्त्र से ककर १२ लिखे, रोगी क गिनावने पूरे देखे तो रोगी जीवे । ज्यादा देखे तो
रोग बढे । कम देखे तो रोगी मरे । इति रोग परीक्षा। मन्त्र :-ॐ अप्रति चक्र फुट विचनाय स्वाहा । विधि :-सरसो के दाने अाठ पानी से धोय सुखावे, पीछे १०८ बार पढि (मन्त्र्य) पानी के कटोरे
मे डाले, एक दाना तिरे तो भूत दोष, दो तिरे तो क्षेत्र पाल दोप, तीन तिरे तो शाकिनी दोष, चार तिरे तो भूतनी दोष, पाच तिरे तो आकाश देवी दोष, छ तिरे तो जल देव दोष, सात तिरे तो कूलदेव दोष, पाठ तिरे तो गोत्रज देवी दोष, सर्व डबे तो किसी का
दोष नही । इति दोष ज्ञान मन्त्रोऽयम् । मन्त्र :-ॐ चक्रेश्वरी चक्र धारिणी कटोरे चालय २ चोरं ग्रहाण २ स्वाहा । चिट्ठी
जुवा नाम । विधि -लिख वार २१ मत्र पढ कटोरै भुथाई नाम चिट्ठी मत्र पढता ऊपर मेल जे जे नाम कटोरो
सो चोर जानिए । वा चिट्ठी जलावे सो जले नाही इति चोर ज्ञान मत्रोऽयम् । मन्त्र .-ॐ नमो श्री आदेश गुरू को थल बाध. जल बाघू, बाँधू जल की तीर । नगरी सहित
राजा बांधू जाल सहित कीर। जे रण जाल मे जीव माछली पावे, तो श्री पार्श्वनाथ
छप्पन छप्पन कोड जादूँ की दुहाई।। विधि :-वार ७ ककरी मन्त्रि जाल मे डाले । जाल बधे मछली आवे नही । मन्त्र :-ॐ पद्मावती पद्मनेत्रे शत्रु उच्चाटनी महा मोहिनी सर्व नर नारी मोहिनी
जयं विजयं ऋद्धि वृद्धि कुरु २ । विधि :-राजा प्रजा मोहन होय, ऋद्धि बढे । मन्त्र --ॐ ह्रीं न श्री चक्र श्वरी मम रक्षां कुरु २ ह्रीं अरहताणं सिद्धाण सूरीण
उवज्झायाणं, साहूणं मम् ऋद्धि वृद्धि समीहित कुरु २ स्वाहा । विधि -वार १०८ नित्य जपे धन धान्य वृद्धि होय । कामधेनु मन्त्रोऽयम् । मन्त्र --ॐ ह्रा ह्रीं ह्रीं क्ली असि आ उ सा चल २ कुल मुल इच्छियम में कुरु २
स्वाहा।