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________________ लघुविद्यानुवाद १६३ विधि :-चिन्तामणि मन्त्रोऽयम् नित्य जपै सर्व सिद्धि होय, प्रभात सन्ध्या जपै । धूप खेवे । मन्त्र :-ॐ नमो भगवते वज्र स्वामिने सर्वार्थ लब्धि सम्पन्नाय वस्त्तार्थ स्थान भोजनं ___ लाभ दे ह्रीं समोहितं कुरु कुरु स्वाहा । विधि :-अनेन मन्त्रेण ग्राम प्रवेशे ककर ७ बार २१ क्षीर वृक्षे स्थाप्यते सिद्धिर्भवति ग्रामे सुख भवति लाभ च भवति । लाभ मन्त्रोऽयम् । मन्त्र :-ॐ नमो भगवते गोमयस्स, सिद्धस्स, बुद्धस्त अक्खीणस्स ह्रीं गौतम स्वामिने नमः अनेन मन्त्रण ग्राम प्रवेशे कंकर ७ बार २१ अभिमन्त्र्य क्षीर वृक्ष दक्षिण दिशा हन्यते । प्रभूत लाभो भवति । लाभ मंत्रोयम । ॐ तारे तुतारे ह्रीं तुरे स्वाहा । विधि :-प्रथम ग्रामे प्रवेशे १०८ जपै सर्व जन शोभन लाभ मन्त्र । मन्त्र :-ॐ ह्रीं णमो अरहंतारणं आरे अभिरणी मोहनी मोहय मोहय स्वाहा । विधि :-नित्य १०८ बार जाप जप ग्राम प्रवेशे ७ ककर बार २१ क्षीर वृक्ष हन्यते लाभो भवति । प्रथम मन्त्र जप दीप, धूप से सिद्ध करना पीछे अपने कार्य मे लगना। मन्त्र .-ॐ ह्रथूफट किरटिं घातय घातय पर विघ्नान स्फोटय हन हन सहस्त्र खण्डान कुरु कुरु पर मुद्रां छिद छिद पर मंत्रान् भिद भिद ह्रां क्षां क्षं व फट स्वाहा । विधि :-पढकर सिद्धार्थ क्षेपण करना। इसको ब्रह्मचर्य से जपना । शुद्ध भोजन करे, रात्रि को भोजन न करे रक्षा मन्त्रोऽयम् । मन्त्र :-ॐ नमो अघोर घंटे मम वन्दि मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा । विधि -जाप १२००० श्याम विधानेन । मन्त्र :--ॐ ह्रीं तुर तुर आगच्छ आगच्छ सुर सुन्दरी स्वाहा। विधि :-शाक पाहारो, भुवि सेज्या, शुचि भूत्वा जितेन्द्रियः पचोपचार योगेन अर्चये। चन्द्र मण्डल श्वेताम्बर शुक्ल वस्त्र धरो भूत्वा मन्त्र गुनिये श्वेत गधानुलेपने लिग करति आगे गुणी को होम कीजे साठ सहत्र गुणिये तिल, घत होमये तो सिद्ध । भवति याक्षिणी। स्वर्ण पाद सहस्त्र च प्रयच्छति । दिने दिने भगिनी मानेती वक्तव्य अथवा चेटी च जल्पयेत । अथ भार्या शोभने चेव तेन भावने पश्यते भागिनी इत्युकते नेता सिधिया शृण ददाति पादुकाग ह देव कन्या प्रयच्छति। सर्व काम करा सास्तु सालिका भोग दायिनी निधानाति विचित्राणि आनये चेटिका सदा इति सूर सून्दरि साधन विधि।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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