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लघुविद्यानुवाद
लोगस्स कल्प
मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्रीं नमः नमिजिणं च बन्दामिरिट्ठ नेमि पासं तह वढ्ढ मारणं चम
नोवाच्छितं पूरय २ ह्री स्वाहाः । विधि :-किसी प्रकार का भय उत्पन्न हुआ हो साधु सग मे अथवा गृहस्थियो मे तो इस मन्त्र का
पीले रंग की माला से जाप करना चाहिए और किसी प्रकार की मिथ्या दृष्टियो द्वारा उपद्रव आने वाला हो तो लाल रंग की माला से जप करने से सब प्रकार का भय मिट
जाता है, शाति होती है । इष्ट देव का स्मरण करे। मन्त्र :-ॐ ह्री ऐ ऐं लोगस्स उज्झो (य) गरेधम्म तित्थपरजिण अरिहंते किति इस्सं
चन्विसंपि केवलि मम मनो अभिष्टं कुरु कुरु स्वाहाः । विधि :--इस मन्त्र का जाप पूर्व दिशा मे मुख करके खडे हो कर करना चाहिए। सम्पत्ति सुख
के लिए श्वेत वस्त्र, सफेद माला, सफेद आसन चक्रेश्वरी देवी के सामने दीप धूप रख कर करे । साधु करे तो दीप धूप की आवश्यकता नही है। अन्तिम पहर रात्रि का बचे तब मन्त्र की आराधना करना । खडे होकर जप करने से शीघ्र लाभ होता है। सम्पत्ति की
प्राप्ति होती है। मन्त्र :-ॐ क्रां क्रीं ह्रां ह्रीं उस भम जिनं च वन्दे संभवमभिरणं दणं च सु मइंच
पउमप्पहं सुपासं जिणं च चंदप्पहं वन्दे स्वाहा । विधि -इस मन्त्र का जाप पद्मासन से उत्तर मुख होकर सकल्पपूर्वक एकान्त स्थान मे अय बिल
व्रत करते हुए २१ हजार जप करे। फिर एक माला नित्य फेरे जिससे शीघ्र हो कार्य की
सिद्धि होती है । दीप धूप अवश्य सामने रखे। मन्त्र :- ॐ ऐं ह्री (ह सौ) झों झी सुर्वािह च पुष्फ दन्तं सीयलं सिझं सा सु पुजं
विमलनगत च छम्मं संति च वदामि-जिरण कुथुअरं चल्लि वन्दे मुरिण सुव्वयं (च) स्वाहा । (ॐ ह्रीं श्री नमिजिणं च वंदामि रिट्ठ नेमि पासं तहू वड्ढ
माणं च मम मनो वाछितं पूरय पूरय ह्री स्वाहा) विधि :-इस मन्त्र का विधिपूर्वक दीप धूप दान पूर्वक सवा लक्ष जप करने से आपस के झगडे
ग्रह क्लेश वगैराह सब शात होते है। सब प्रकार के बैर भाव मिटते है। फिर एक माला