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________________ लघुविद्यानुवाद नित्य फेरनी साधू सघ मे अथवा गृहस्थो के घर मे सर्व प्रकार का मन मुटाव दूर होता है। सुख सम्पत्ति की प्राप्ति होती है । जाप न्युन्याधिक नही करे। मन्त्र :-ॐ ऐं ह्रां ह्रीं एवं मऐ अभि थुप्रावि हुयर यमला पहोरण जर मरणा चउन्वि संपि जिरगवरा तित्थयरा में पसीयंतु स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र का साढे बारह हजार दीप धूप विधानपूर्वक करने से सर्व प्रकार के अपवाद मिटते है यश फैलता है । सर्व कार्यों मे जय विजय प्राप्त होती है । शत्रु स्वयं ही शात हो जाते है। मन्त्र .-ॐ श्रां अम्बराय (उद्यवराय) कित्तिय वदिय महिया जे लोगस्य उत्तम सिद्वा प्रारोग्ग बोहिलाभं समाहि वर मुत्तमं दिन्तु स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र का स्मरण मनुष्य जब रोगी हो जाय किसी प्रकार से रोग ठीक नही होता हो और दिनो दिन वेदना बढती जाय तो जाप करे अथवा दूसरा व्यक्ति रोगी मनुष्य को सुनावे तो, आयुष्य अगर वाको है तो शाति मिलती है । आयु का अगर आयु अन्त है तो इस मन्त्र को सुनाने से समाधि ठीक होगी। सद्गति की प्राप्ति होती है। मन्त्र :---ॐ ह्रीं ऐं श्रां जां जी चन्दे सुनिम्मल यरा प्राइच्चे सु अहियं पयासयरा सागर वरगंभीरा सिद्वा सिद्धि ममदि सन्तु मम मनोवाछित पूरय पूरन स्वाहा। विधि :-यश प्रतिष्ठा के इच्छुक व्यक्तियो को इस मत्र का जाप करना चाहिए। यह मन्त्र अत्यन्त चमत्कारी है। मन्त्र का जाप साढे बारह हजार वार करे तो सर्व कार्य की सिद्धि होगी। यश प्रतिष्ठा बढेगी, उपद्रव शात होगे। मन्त्र :-ॐ चंडिनि चले चल चित्ते चपले चपल चित्ते रेतः स्तम्भय स्तम्भय . ठः स्वाहा। विधि :-३ हजार जाप इस मन्त्र का दीप धूप विधान पूर्वक जपने से सिद्ध होता है। फिर इस मन्त्र से सात बार शक्कर मन्त्रित कर, योनि में रखने से स्त्रियो का प्रदर रोग गात होता है। मन्त्र :-ॐ ो ो अं अः स्वाहाः । विधि :-इस मन को जप कर काजल बनावे काजल प्रॉब की रुई और लार का रम अथवा पाकको रईपार कमन के धागे की बनी बना पर वाजल बना प्रांतो में प्रजन करने से वश्य होता है।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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