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लघुविद्यानुवाद
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हो जाय तब २१ बार णमोकार मन्त्र को जप लेना, इस तरह करने वाले को सर्व प्रकार
के भय नष्ट होते है और आनन्द मगल हो जाता है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं गमो जिरणाणं, ॐ ह्रीं अर्ह आगासगामीणं, ॐ ह्रीं श्रीं वद वद
वाग्वादिनी भगवती सरस्वती मम विद्यार्सािद्ध कुरु कुरु । विधि :-इस मन्त्र का अधिक जाप करने से ऐसा लगेगा कि मै आकाश में उड रहा हूँ। जाप करने
के बाद भगवान की व सरस्वती देवी की पूजा करे, जप आँख मीच कर करे तब मन्त्र सिद्ध होगा। उसके पश्चात कोई भी मन्त्र या विद्या सिद्ध करने मे देर नहीं लगेगी तत्काल
सिद्धि होगी। आयु का ज्ञान होगा, कष्ट निवारण होगा। मन्त्र :-ॐ ह्रीं क्लीं नौ कौ बटु काय आपद, उद्घारणाय कुरु कुरु बटु काय ह्री
हम्व्य नमः विधि -इस मन्त्र का साढे बारह हजार जप विधि पूर्वक करे, विशेष पूजन करे, तब देव प्रत्यक्ष
होगा अथवा स्वप्न मे दीखेगा और स्पष्ट उत्तर देगा। इस मन्त्र का जाप अत्यन्त सावधानीपूर्वक करना नहीं तो पागल कर देता है।
सहदेवी कल्प
सहदेवी के पेड़ के नीचे शनिवार की रात्रि को जाकर १ सुपारी रखे, सहदेवी को धप दिखा कर हाथ जोड विनयपूर्वक प्रार्थना करे कि हे सहदेवी प्रात मै तुमको अपने यहाँ पधराऊ गा, ऐसा कह कर घर आ जावे, रविवार को प्रात होने के पहले जाकर इक्कीस बार पढे।
मन्त्र :-ॐ नमो भगवती सहदेवी सद्वत हय नीस वद कुरु कुरु स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से मन्त्रित कर जड सहित सहदेवी को बाहर निकाले और मौन बने अपने स्थान
पर आकर एक पाटे पर स्थापन कर धूप, दीप, फल भेट करे और फिर उसका रस निकाले, और उस रस मे गोरोचन व केशर डाल कर गोली बनावे, जब कभी काम हो तब गोली को घिस कर तिलक कर के जावे तो इच्छित व्यक्ति वश मे होगा। विजय होगी, सहदेवी की जड हाथ मे बाँधने से रोग नष्ट होता है। इसके चर्ण को पीस कर गाय के घी मे मिला कर पीने से बन्ध्या स्त्री गर्भ धारण करती है। प्रसूति के समय कष्ट हो रहा हो तो इसको कमर से बाधने पर शान्ति से प्रसव होता है। कण्ठ माला रोग होने पर हाथ मे बाँधे, हाथ मे बाघ कर प्रस्थान करे तो जय पावे। शत्र के सामने विवाद पड जाने पर जड को पास मे रखे तो जय पावे ।