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________________ १७० विधि लघुविद्यानुवाद —-अगर, तगर, कृष्णागर, चन्दन, कर्पूर, देवदारु इन इन चीजो का चूर्ण कर इस मन्त्र का १०८ बार जाप करे और १०८ बार मन्त्र की ग्राहुति देवे तो तुरन्त रोजगार मिले चाहे व्यापार चाहे नौकरी । मन्त्र :- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं नसिह चेट को ह्रां ह्रीं दृष्टया प्रत्यक्ष अमुकी मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा । विधि विधि - इस मन्त्र को रात्रि को १०८ बार जपने से स्व स्त्री तुरन्त वश में होती है । मन्त्र :- ॐ नमो ॐ ह्रीं श्रीं ॐ नमो भगवति मोहिनी महामोहिनी जूं भिणी स्तंभिती पुर ग्राम नगर संक्षोभिनी मोहिनी वश्य करिणी शत्रु विडारनी ॐ ह्रीं ह्रां ह्रद्रोही २ जोहि २ मोहि २ स्वाहा । - इस मन्त्र को सातो बार १०८ बार जपे और मुख पर हाथ फेरे तो राजा प्रजा सर्व वश्य । मन्त्र :- ॐ ह्री श्री वद् वद् वाग्वादिनी सप्त पाताल भेदिनी सर्व राज मोहिनी अमुकं मम वश्यं कुरु कुरु स्वाहा । विधि .~ इस मन्त्र का १०८ बार नित्य ही जाप करने से बुडा प्रतापी होता है और जगद्वश्य होता है । मन्त्र :- ॐ नमो राई रावै धनि प्राधावे खारी नोन चटपटी लावे मिरच मारि दुश्मन जलावे श्रमुक मेरे पांव पडता यावे बैठा होय तो उठावे सूता होय तो मार जगावे लट गहि साटो मार मेरे बांये पायें तले श्रानि घाल देषों हनमत वीर तेरी श्राज्ञा पुरै ॐ ठः ठः ठः स्वाहा । विधि -- राई, धनिया, नमक, मिरच, इन चारो चीजो को मिलाकर इस मन्त्र से १०८ बार ग्रग्नि .मे होम करे तो इच्छित व्यक्ति प्राकर्षित होता है । मन्त्र - ॐ जूं सः अमुकं मे वश्य मानय सः जुं ॐ । विधि :- इस मन्त्र का एक लक्ष जप करने से वशीकरण होय । मन्त्र — ॐ जूं सः अमुक श्राकर्षय २ सः जुं ॐ ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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