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________________ लघुविद्यानुवाद हिगु, वच दोनो समान मात्रा में लेकर चूर्ण करे, उस चूर्ण को बकरी के मूत्र के साथ मिलाकर पिलाने से सर्प का विप दूर होता है। मन्त्र :--हसिठ ह उसंकरू हउं सुपर मत्तात् विसुरं जउ विसुखाउं विसु अवले विरिण कर उं जादि सिचा हु सादिशि निर्विस कर उ हरो हर शिव नास्ति विसु । विधि :-थावर विष भक्षण मन्त्र भक्षितो वा कल पानीय पातव्य वार ७ अभिमन्त्र्य निर्विषो भवति । मन्त्र :-ॐ नमो रत्नत्रयाय अमले विमले स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को १०८ बार पढता जाय और हाथ से झाडा देता जाय और पानी को १०८ बार मन्त्रित करके पिलाने से सर्प का जहर उतर जाता है। मन्त्र :-ह्रीं ह्रहः । विधि :-इस मन्त्र से झाडा देवे १०८ बार तो किसी के द्वारा खिलाया हुआ जहर दूर होता है । तथा क्षः इति स्मर्यते सर्पो न लगति । मन्त्र .-ॐ कुरु कुल्ले मातंग सवराय शंख वादय २ ह्रीं फुट् स्वाहा । विधि -बालु को २१ बार इस मन्त्र से मन्त्रित करके घर मे डालने से सर्प घर से भाग जाते है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं कलि कुड स्वामिने अप्रति चक्र जये जये अजिते अपराजिते स्तंभे मोहे स्वाहा । विधि - कन्या कत्रित सूत्र को मनुष्य के बराबर लेकर १०८ बार मन्त्रित करे, फिर उस सूत्र का टुकडा करके खावे तो (बालका न भवति) सन्तान नहीं होवे । मन्त्र -वम्लव्य व्यू टम्ल्व्यू । विधि -इस मन्त्र को पान ऊपर हाथी के मद से अथवा सुगन्धित द्रव्य से लिखकर खिलावे तो वश होय । मन्त्र :-ॐ नमो ह्रां ह्री श्री चमुंड चंडालिनी अमुका मम नामेण प्रालिंगय
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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