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लघुविद्यानुवाद
शारदा दड़क
ऐ जय जय जगदेक मात्तम चन्द्र चूडेंद्र सौपेन्द्र पद्मोद्भ वोष्या श्रुशीता श्रुशिखि पवन यम धनद दनुजेन्द्र पति वरुण मुख सकल सुर मुकुट मणि निचय कर निकर परिजनित वर विविध रुचिर चितनव कुसुम चय-बुद्धि लुष्च भ्रमद्भमर मालानि नादा नुगत मुजुसि जान मन्जीर कलस कनक मयकिकिणी क्काणजिन्नयुदुछामर सनि भृतपद किरण गण-किकरानुगत सुचक्रामण ली लेषु ली ले स्थलाभोजनिभ चरण नरवरन्न किरण काति छलेन हरन यन हव्याशन प्रतिकृतानग विजय श्रियो सौभवत्या भये नेव शरणागत पादमूले सुमूलेसमालीन इवलक्ष्यते ललित लावण्य तरुकदली सुभग जघालते गलीत कलधौत रजत प्रभोरुद्यते विधुदुद्योत माणिक्य बधो ज्वलानर्थ्य काची कला पानु सयमित मुनि तव विवस्म रद्धिरद परिरचित नव रोमराज्य कुशे निरकुशे दक्षिणा वर्तनाभि भ्रम त्रिवलितर लुट्टित लावन्यरस निम्नगा भूषित मध्यदेशे सुवेसे स्फुरतार हारावली गगन गगा तरग ध्वजालिगि तो तुनिविडस्तन स्वर्ण गिरि शिखर यूग्मे उमेमुरारी कर कबु रेखानुगत कठपीठे सुपीठे लसित सरस सुविलास भुज युगल परिहसित कोमल मृणाल नव नाले सुनाले महानय॑मणि वलय जमयूख मख मासलित कर कमल नखरन्न किरण जित तरणि किरणे सुशरणे स्फूरत्यग्रं रागेन्द्र मणि कु डलो ल्लसित कॉति छटा छुरित गल्लस्थली रचित कस्तुरिका पत्र लेखा समुत् खाल सुरनाथ नामी व शोभे महासिद्ध गन्धर्व गण किनरी तुवर प्रमुख परिरचित विविध पद मगला नद सगीत मुख सम्पूर्ण कर्णेसू कर्णे जय जय स्वामिनि शशि सकल सुगन्धि तावुल परिपूर्ण मुख वाल प्रवाल प्रभाधर दलोपात विश्रात दत द्युति घोत्तिता शोक नव पल्लवा सक्त शरदिदु साद्र प्रभेसु प्रभे विश्वनाथादि निर्माण विधि मन्त्र सूत्र सुस्पष्ट नासान रेखे सुरेखे कपोल तल काति विभवेन विभाति नश्यति यावति तेजासि चतमा सिच विमल तर तार तर सचर तार का नग लीला विलासो ल्लसित
र्ण मूलात विश्रात विपुलेक्षणा क्षेप क्षेपे विक्षिप्त रुचिर रुचिर नव कुदली नाबुज प्रकर भूषिताशा व काशे सूकाशे चलद्म लता ।वजित कदर्प को दण्ड भगे सुभगे मिलन्मध्ये मृगनाभिमय बिन्दु पद चन्द्र तिलकाय मानेक्षणालकृतार्द्ध दुरोचिर्ल लाटे सुलोढे लसित वश मणि जालि कात रि चलत् कुन्तलातानुगत नव कुन्द माला नुषक्त भ्रम भ्रमरपंक्त सुपक्त वह द्वहुल परिमल मनाहारि नव मालिका मल्लिका मालती केतकी चपके दीवरोदार माला नुसग्रथित धम्मिल्ल मूर्द्धावन द्वदु कर