________________
१६०
लघुविद्यानुवाद
मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्रीं महा संमोहिनी महाविद्य मम दर्शनेन अमुकं भय स्तंभय
मोहय मूर्छय कछय आकछय आकर्षय पातय ह्रीं महा संमोहिनी ठः ठः
स्वाहा विधि :-इस मन्त्र का स्मरण करके उपदेश देने से सब श्रोतागण प्राकष्ट होते है। जन, विषये
तन्नाम् च यः कोपि रोचते तन्नाम खटिकया लिख्यो पर वाम पाद दत्वा वार १०८ स्र्य तेत तस्तन्मृष्ट्वा वाम हस्तेन तिलक क्रियतेऽधोमखः ततो राजादिवशीस्यात् । जन, विषये च दक्षिण पाद दत्वा वार १०८ जप्त्वा च दक्षिण पाणिनोर्द्ध मुखस्तिलक क्रियते पर तस्यानामोपरि पूगी फल ध्रियते त तस्या दीयते तत सा वशीकरण
स्यात.। मन्त्र :-ॐ ब्रह्म कुष्यि के दुर्जन मल २ मुखी स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से ७ या २१ बार चन्दन मन्त्रित करके उल्टा तिलक करे तो ससार को वश
करने वाला होता है। मन्त्र :-ॐ जंभे स्तंभे मोहे अंबे सर्व शत्रु वशं करि स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र को पहले १०० माला जप करके सिद्ध करले फिर जिसके नाम वार १०८
करके तीन चुलू पानी छीटे और तीन चुलू पानी पिलावे तो वशी हा जाता है। मन्त्र :-ॐ अर्घयाडा पिटु वाडा जिथुथानक स्सेति प्राइ तिथु थानक जाह महादेव
की केरी आज्ञारा ठः ठः । विधि :-अनेन् मत्रेत तृण्यानि सप्त वार १०८ अभि मत्र्ये विले प्रक्षिप्यते कीटि का न नी
सरती। मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्रीं श्री कलि कुडे अमुकस्य प्रापत रक्षरणे अप्रतिहत चक्र ॐ
नमो भगवऊ महइ महावीर वद्ध मारण सामिस्स जस्सोयं चक्कं जलंत गच्छइ प्रायांसं पायालं लोयारणं भूयारणं जोएवा रणेवा रायंगणवा जाणे वा वाहणे वा बंधणे वा मोहरणे सव्वेसि अपराजिऊ होमि होमि स्वाहा।