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लघुविद्यानुवाद
विधि :-इस मन्त्र से ३७ बार तैल मन्त्रित करके फोडे पर लगाने से दुष्ट फोडा नष्ट
होता है। मन्त्र :-ॐ प्रां कों प्रों ह्रीं सर्व पुर जनं क्षोभय क्षोभय आनय प्रानय पादयोः पातय
पातय पाकर्षणी स्वाहा । विधि :-अनेन मन्त्रेण वार २१ जपित्वा हस्तो वाह्मते तथा कुमारि सूत्र दवर के अमु मन्त्र पा
७/७ जपित्वा सप्त ग्रन्थयो दीयते ततो गाढतर ग्लाना वस्था या रोगिण 'कटि प्रदेशे दक्षिण हस्ते वा दवर को बध्यते वार ७/२१ अनेन मन्त्रेण वासा अभिमन्त्र्य रोगिरणा शरीरे लग्यते शराव सपुट च रोगिण खट्ठा घस्थात् स्थाप्यते तस्य नित्य भोगादि कार्य ते स्वय च नित्य स्मर्यते ।
मन्त्र :-ॐ ह्रीं कृष्ण वाससे शत वदंने शत सहस्त्र सिंह कोटि वाहने पर विद्या
उछादने सर्व दुष्ट निकंदने सर्व दुष्ट भक्षणे अपराजिते प्रत्यगिरे महाबले
शत्र क्षये स्वाहा । विधि .-इस महामन्त्र का नित्य ही १०८ बार जप करने से सर्व दुष्टादिक का उपशम होता है
और सर्वमन चितित कार्य की सिद्धि होती है। मन्त्र :-ॐ नमो इंद्र भूद गरणहरस्स सव्व लद्धि करस्स मम ऋद्धि वृद्धि कुरु कुरु
स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र को नित्य लाभ के लिए सदा स्मरण करना चाहिए । बकरे का मूत्र, हिगु, वच,
इनको पानी के साथ पीसकर पिलाने से यदि वासु की सर्प भी काट लिया हो तो भी
निविष हो जाता है। मन्त्र :-ॐ माले शाले हर विषये वेग हाहासरी अवेलं चे सर्वेक पोत गेद्रः मारुद्र
अर्चटः माहु हुं लसः स्वाहा । विधि :-इस विद्या का स्मरण करने से विष निविष हो जाता है।
अब कुरगिरणी नाम की गारूड़ी विद्या को लिखते हैं । मन्त्र :- ॐ अकलु स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से, शख को सात वार मन्त्रित करके सर्प खाया हा मानव के कान मे शख को
बजाने से तत्क्षरण निविष हो जाता ।