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लघुविद्यानुवाद
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सूर्य ग्रह गृन्ह २ सोम ग्रह गृन्ह २ वन राज ग्रह गृन्ह २ नागेन्द्र ग्रह गृन्ह २ माहेश्वर ग्रह गन्ह २ नमोस्तुते भगवते पार्श्वनाथाय एकाहिक द्वयाहिक व्याहिक चातुर्थिक विषम ज्व सावत्सरि कार्द्ध मासिक वातिक पितिक श्लेष्मिक सनिपातिक ज्येष्ठाया गुन्ह २ मुह २ मु च २ धम २ रग २ तिष्ठ २ पच २ त्रिष्ठि २ कय २ परु २ तूरु २ पूरय २ भगवते भो २ शिघ्र २ गच्छ २ आवेश २ हन २ दह २ पच २ छिद २ भिद २ कुरु २ लघु २ चल २ रिपु २ गडाली २ चडपुरी २ अपस्मारति पर पुरी २ धरि २ करि २ कुरु २ भीतरपूर्ण २ कुभ २ भज २ र र र र रि रि रि रि रु रु रु रु हु फट सर्वक्षर नाशिनी कालमुखीना वासुकीना तक्षकीना कपिलाना काल कीटाना अष्टादश वृश्चिकाना द्वादश मुषकाना व्यंतर विषनाशिनी सर्व विष छेदनी सर्व रोग विनाशिनी हितकरी यशस्करी सर्व लोक वशकरी नमो स्तुते भगवते पार्श्वनाथाय तीर्थकरेभ्यो नमो नम आज्ञापयति
स्वाहा । विधि :-यह मन्त्र सर्व रोग मे पढता जाय और झाडा देवे तो सर्व रोग नष्ट होते है । मन्त्र -ॐ नमो भगवतो पार्श्वनाथाय श्री कलि कु ड नाथाय सप्त फण चतुर्दश दष्ट्रा करालाय
धरणेन्द्र पद्मावति सहिताय महाबल पराक्रमाय अपराजित साशनाय अष्ट विद्या सहस्त्र परिवाराय सर्व भूत वशकराय वज्रमुष्टि चूर्णनाय अकाल मृत्यु नाशनाय ससार चक्र प्रमर्दनाय सर्व विष मोचनाय सर्व मुद्रा स्फोटनाय सर्वे श्रुल रोग नाशनाय काल दष्ट मतको पथापनाय सर्ववध मोचनाय अनेक मुद्राशत सहस्त्र कोटा कोटि स्फोटनाय वज श्रगोद्धदनाय सूदर्शन चद्र हास खङ्ग नाशनाय सर्वात्म मन्त्र रक्षणाय सर्वार्थ काम साधनाय सर्व विष छेदनाय सर्व रोग नाशनाय कि पुरुष गरुड गान्धर्व यक्ष राक्षस भत पिशाच डाकिनीना प्रनाशनाय एहि २ महाबलि पद्मावति साधनी देवी एकाहिक द्वयाहिक च्याहिक चार्थिक वातिक पैत्तिक श्लेष्मिक सनि पातिक सर्व ज्वरान गड पिटक विस्फोटिक श्रल लता ज्वाला गर्दभ अक्षि कुक्षि रोगाणा वाल ग्रह हन २ दह २ पच २ पाटय २ विघ्वशय २ गन्ह २ वध २ मोचय २ तिष्ट २ वेधय २ उच्चाटय २ चल २ धम २ रग २ कप २ जल्प २ कूरु २ पूरय २ आवेशय कपिल घाति कुरु २ कपिल पिगल लोचनाय का २ भ्रामय २ शातिकर २ शुभकर २ प्रशाताय २ ही धरणेन्द्राय अमृवो ज्ञापयति फट
स्वाहा । क्षि क्षा क्ष क्ष र ७ कुरु २ हु फट् स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र से भी सर्व कार्य की सिद्धि होती है तथा सर्व रोग शान्त होते है । ये पठित सिद्ध
मन्त्र है । मन्त्र नित्य १ बार पढने से स्वय सिद्ध हो जाते है। मन्त्र :-ॐ नमो भगवते पार्श्वनाथाय तीर्थंकराय कालामुखीनां वासुकीनां कपिलिकानां
कालकीटानां तक्षकानां अष्टादश वृश्चिकानां एकादश देवतानां पंचादश विसरणां द्वादश मूषिकानां सर्वेषां चित्रिकाणां सर्वेषां डाकिनीनां सर्वेषां