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लघविद्यानुवाद
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फिर ज्वर ग्रसित रोगी को उस लिंग को दूध से धोकर पिलावे, तो ज्वर से रहित
होता है। मन्त्र :--ॐद्रां द्रींनी विधि :-इस मन्त्र से भस्म मन्त्रित करके खाने से घटिका रोग नष्ट होता है। मन्त्र -दिशां वंध भगवान वंघ वाहतां चक्षु वंधः सर्वं मुख बंधः क्लीं मुखः ॐ वातली
वातली वाराही वाराही वारामुखी वारामुखी सर्व दुष्ट प्रदुष्टानां क्रोध स्तभस्तंभे जिह्वां स्तंभस्तमे दृष्टि स्तंभस्तंभे महि स्तंभस्तंभे सर्व दुष्टान्
प्रदुष्टे ॐ ठः ७ क्लीं गुरु प्रसादे । विधि :-इप मन्त्र का जाप करने से स्तभन होता है, लेकिन गुरु की कृपा होनी चाहिये । मन्त्र :-ॐ सुग्रीवाय वानर राजाय अतुल बल वीर्य पराक्रमाय स्वाहा । विधि .-मन्त्रो लिख्यते ढाहु लीपते शोभने चूर्ण खरटिते अधोमुखपुच्या श्रूलाया वा एक द्वित्रि
लिख्यते। इस मन्त्र को सुपारि, फल मन्त्रित करके खिलाने से सर्व प्रकार के ज्वर नष्ट होते है।
मन्त्र :-ॐ नमो भगवतो पार्श्व चद्राय महावीर्य पराक्रमाय अपराजित शासनाय ससार प्रमर्दनाय
सर्व शत्रु वश कराय किंनर कि पुरुप गरुड, गधर्व, यक्ष, राक्षस, भूत, पिशाच, प्रमर्दनाय सर्व भूत ज्वर व्याधि विनाशनाय काल दष्ट मन्त्रो छादनाय सव दुष्ट ग्रह छेदनाय सर्व रिपु प्रणासनाय अनेक मुद्रा कोटा कोटी शत सहस्त्र लक्ष स्फोटनाय वज्र शृखल छेदनाय वज्र मुष्टि संचूर्णनाय चद्र हासच्छेदनाय सूदर्शन चक्र स्फोटनाय सर्व पर मन्त्र छेदनाय सर्वात्म मन्त्र रक्षणाय सर्वार्थ काम साधनाय विश्राकुशाय धरणेन्द्राय पद्मावति सहि ताय
ल दिलि परमार्थ साधिनी पच पच पय पय धम धम घर घर छिद छिद भिंद भिद म च म च पाताल वासिनी पद्मावति
प्राज्ञापयती हु फट. स्वाहा । विधि -सर्व विषय के कार्य मे इस मन्त्र का जाप करना चाहिये। मन्त्र --ॐ नमो भगवतो चड पार्वाय भगवन एहि एहि यक्ष यक्षी राक्षस राक्षसी भूत भूती
पिशाच पिशाची कुष्माड कुष्माडि नाग नागी क्षर क्षरी अपस्मार अपस्मारी प्रत प्रती कुमार कुमारी ब्रह्म राक्षस स्कद स्कदी विशाख विशाखी गाधर्व गाधवी उन्माद उन्मादी काली महाकाली खेती महाखेती कात्यायिनी महा कात्यायिनी भूगी रिटी महा भूगीरिटी विनाय की महा विनाय की चामुडि महा चामुडि सप्त मात्र की ताट की महा ताट की डाकिनी महा डाकिनी सप्त रोहिणी महा सप्त रोहीणा