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लघुविद्यानुवाद
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करके गाठ देवे, फिर राजकुलादिक मे जावे तो साधक जो कहे, सो मान्य होता है। अगर १००० जाप नित्य करे तो सर्व का प्रिय होता है, और अगर किसी को वश करना चाहे तो
अनु को १०८ बार जप करने से कार्य की सिद्धि होती है। मन्त्र :-बहुत दिवस की कुठाहल नान्ही करिपाणी भे विसुपाणी उलान्हइ कापडइ
छारिण लोजइ पियरग दीजइ । विधि :-इस मन्त्र से शेर के बाल का विष नष्ट होता है । शाकिनी उच्चारण धूप .-सरसो, हिगु, नीम के पत्ते, वच, सर्प की काचली, इस सबकी धूप बनाकर
रोगो के सामने जलाने से शाकिनी का उच्चाटन हो जाता है। वणि की जड, हिंग, सूठ सबको समभाग लेकर जल के साथ पीस लेवे, फिर शाकिनी गसीत रोगी को नाक मे सुघाने से शाकिन्यादि, रोगी को छोडकर भाग जाते है।
मन्त्र :-ॐ नमो भगवतो मारिण भद्राय कपिल लिंग लोचनाय वातांचल प्रेतांचल
डाकिनीअंचलं शाकिनी अंचल वंध्याचलं सार्वाचलं ॐ ह्रीं ठः ठः स्वाहा । विधि --आचलवात मन्त्र । मन्त्र :-ह्रीं। इति उपरित नांगुलिद्वय मध्येअंगुष्ठकं निधाय गण्यते मार्गे सर्व भयं
निवर्तयति । मन्त्र :-ॐ नमो भगवत्यं अप कुष्मांड महाविद्य कनक प्रभे सिंह रथ गामिनी
त्रैलोक्य क्षोभनी एह्य एह्य मम चितितं कार्य कुरु कुरु भगवती स्वाहा । विधि :-सफेद गुलाब के फूल १०८ बार लेकर इस मन्त्र को जाप करे तो लाभालाभ शुभाशुभ
जीवित मरणादिक का कहता है । इस मन्त्र का कर्ण पिशाची भी नाम है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं कर्ण पिशाचिनी अमोध सत्यवादिनी मम कर्णे अवतर अवतर सत्यं
कथय कथय अतोत अनागत वर्तमानं दर्शय दर्शय एह्य एह्य ॐ ह्रीं कर्ण
पिशाचिनी स्वाहा। विधि -लाल चन्दन की एक पुतली बनावे, फिर उसको पुतली के आगे एक पट्टे पर इस मन्त्र
को लिखकर सुगन्धित पुष्पो से १०,००० जाप करे तब यह मन्त्र सिद्ध होता है। अब यहाँ पर सक्षेप से कहते है। शुद्ध होकर सीधे कान को ७ बार इस मन्त्र से मन्त्रित करे या १०८ बार अव्यग वस्त्रं सुप्पते, तब शुभाशुभ स्वप्न मे कहता है या वचन में कहता है। शिवजी के लिग पर २४ षकार श्मशान के अगारे से ( कोयले ) लिखे