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लघु विद्यानुवाद
अदृश्य व्यक्ति सबको देखता है, किन्तु दूसरे व्यक्ति उस अदृश्य व्यक्ति को नही देख पाते है ।
मन्त्र :- ॐ मातंगाय प्रेत रूपाय विहंग माय धून २ ग्रस २ आकर्षय २ हूं फट सिरि सूल चंडा धर प्रचंड सुग्रीवो श्राज्ञापयति स्वाहा ।
विधि :- सरसो लेकर इस मन्त्र से १०८ बार ताडित करने से ग्रह भूत डाकिन्यादि शीघ्र दूर होते है । कनेर के फूल, घतुरे के फूल, अश्व गन्ध, अपामार्ग इन वस्तुओ की घूप बनाकर जलाने से भूत बाधा नष्ट होती है ।
श्लोक - करण वीरस्य पुष्याणि कनकस्य तथैव च,
अश्व गधा स्वपा मार्ग मेष धूपो विधियते || १ || अन्- धूपितागस्य भूता नश्यति वि चिन्हता, शाकिन्यो विविधाकारास्तथा च रजनी चरा |२|| - वैताला श्चेव तु ष्माडा ज्वरा श्चातुर्थिकादय, सर्पाश्चैव विशेषेण शिरोति विविधा तथा ॥ ३ ॥
धूप राजेन सर्वेपि धूपिताया विनाशन,
श्रुष्क शतावरी खड हस्ते वद्ध ज्वरम पहरति ॥४॥
इन श्लोको का अर्थ बहुत सरल है इसलिए यहाँ नही किया है ।
मन्त्र :- ॐ क्लीं ॐ सः ।
विधि :- पान ७ चूर्णेन खडयित्वाऽलक्ते केन लिखित्वा भक्ष्यते तृती ज्वर नाश ।
मन्त्र :- ॐ कुमारी केन ह्रीं भगवति नग्नो हं श्रनाथाय ठः ३ ।
विधि - कालत्रय बार १०८ जाप्य सप्ताह वस्त्र ददाति, गोरोचन तथा हिगु कु कुम च मनः शिलाक्षी द्र ेण च समायुक्त जात्यधोपि च पश्यति ।
मन्त्र :
मन्त्र — ॐ किरि २ स्वाहा ।
विधि :- अर्द्ध रात्रि मे नग्न होकर इस मन्त्र का जाप करने से स्वप्न मे मन चिन्तित कार्य को कहता है ।
- हंषो बलाय सूर्यो नमः ।
विधि :- कन्या कत्रीत सूत्र मे & गाठ लगाकर पांव में बाघने से वलिर्याति ।
मन्त्र :- ॐ गरुडाय विलि २ गरूडो ज्ञापयति तस्य विष्णु वचने न हिलि २ हर २ हिरि २ र २ स्वाहा निरक्खे ( निर्ररके) व सुमष्य यारे ।