________________
लघुविद्यानुवाद
१४७
-
विधि । -इमेण मन्त्रेण सत्त परियते भूइ धराउ नाशति वित्त गजेण दुट्ठावि । मन्त्र :-ॐ लं वं रं यं क्षं हं सं मातंगिनी स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र से जल को अभिमन्त्रित कर पिलाने से सर्व रोग चला जाता है। चउ दश
अक्खर विज्जा जविय जल सत्त वाराऊ जल विस दाह विसाणं - वाहि हर तोए
पीएण। मन्त्र :-ग छ ह उ कुपाउ उरू छिदउ मुहुछिदउ पुंछु छिदउ छिदि २ भिदि २
त्रुटि २ जाहि ३ निसंत्तानु । विधि :-इस मन्त्र को २१ बार पढता जाय और हाथ से झाड़ा देता जाय तो, गड दोष नष्ट हो। मन्त्र .-ॐ पंचात्माय स्वाहा ।
:-इस मन्त्र से २१ बार चोटी मन्त्रित करके चोटी मे गाँठ लगावे तो ज्वर से छटकारी
मिलता है। मन्त्र :-ॐ प्रां कों ह्रीं नित्ये कलं दे मद द्रवे इंक्लीं ह सौं पद्मावती देवी
त्रिपुराजित्रिपुर क्षोभिनी त्रैलोक्यं क्षोभय क्षोभय स्त्री वर्ग आकर्षय आकर्षय
ब्लीं ह्रीं नमः। विधि :- इस मन्त्र का विधि विधान से जप करने से महादेवी पद्मावती जी का प्रत्यक्ष दर्शन
होता है। मन्त्र :-ॐ प्रां कों ह्रीं ऐं क्लीं ह सौ पद्मावती नमः । विधि : यह पद्मावती मूल मन्त्र है। मन्त्र :-ॐ ह्रीं श्रीं पद्म पद्मासने श्री धरणेन्द्र प्रिये पद्मावती श्रियं मम कुरु करु
दुरितानि हर हर सर्व दुष्टानां मुखं वंधय वंधय ह्रीं स्वाहा । । विधि :-इस मन्त्र का २१ बार स्मरण करने से सर्व कार्य की सिद्धि होती है। मन्त्र :-ॐ क्लीं ब्ली ली ब्री (ध्री) श्री कलि कुड भगवती स्वाहा। . विधि :-इस मन्त्र का १००८ बार ज्येष्ठ महीने मे जप करे तो पद्मावती महादेवी जी प्रसन्न
होती है। : . . . मन्त्र :-ॐ भगवति विद्या मोहिनी ह्रीं हृदये हर हर प्राउ आउ आणि जोहि जोडि
मोहि मोहि फ्रे ३ आकर्षि २ भैरव रूपिणी ब्लू३ मम वशमानय वशमानय स्वाहा।