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लघुविद्यानुवाद
विधि
-इस मन्त्र को विशेषत कुवार पूर्णिमा ( शरद पूर्णिमा ) को चन्द्रमा के सामने मुख करके जप किया जाता है। और करीब १००० बार जपने से ज्ञान का प्रकाश होता है। एक माला नित्य जपने से पाप कालिमा दूर होती है, मन स्वस्थ्य होता है।
मन्त्र :-ॐ श्रीं श्रि श्रुश्रः झां झी झझः रां रि रुरः ह्रां ह्रीं ह्रहः ध्रां ध्रि
धू ध्रः स्वाहा। विधि -सिचह काउण जल इमेण मन्त्रेण सत्तपरियत्त थभेइ पली वयण दिव्व च करेही धोएहि ।
मेघ माला प्रवक्ष्यामि । जा सग्रहुती अवतरती गज्जती अमीयधाराहि वरि सती तुहु मेघ
माला वुच्चहि परम कल वारणु करणु करिति वइ सान रुघभती जवीउति । विधि -इमेण मत्रेण पाणिय पवर धोउण जाहु जलणे सिहि इमष्ये निरासको । मन्त्र :-ॐ नमो भगवते महामाए अजिते अपराजिते त्रैलोक्य माते विद्य से सर्व भूत
भयावहे माए माए अजिते वश्य कारिके भ्रम भ्रामिरिण शोषिरिण भ्रू वे कारिरणे ललति नेत्राशनि मारणि प्रवाहरिण रण हारिणि जए विजय जं भंनि खगेश्वरी खगे प्रोखे हर हर प्रारण विखिरगो खिखिरणी विधून विधून वज हस्ते शोषय शोषय त्रिशुल हस्ते षट्वांग कपाल धारिणि महापिशित मार्स सिनि मानुषार्द्ध चर्म प्रावृत शरीरे नर शिर मालां ग्रंथित धारिणी निश्रूभिनि हर हर प्राणानु मर्म छेदिनि सहस्त्र शीर्षे सहस्त्र वाहने सहश्र नेत्रे हे ह ह्व हे हे ष ष ग ग धु धु छ छ जी जी ह्री ह्री त्रि त्रि ख ख हसनी त्रैलोक्य विनाशिनि फट् फट् सिंह रूपे खः गज रूपे गः त्रैलोक्यो दरे समुद्र मेखले गृन्ह गृन्ह फट फट् हे हे हुं हुं हन हन माए भूत प्रसवे परम सिद्ध विद्य
हः हः हु हु फट् फट् स्वाहा । विधि -सूर्य ग्रहण अथवा चन्द्र ग्रहण में उपवास करके इस मन्त्र को १०८ बार जाप करे मन्त्र
तब सिद्ध होता है, फिर इस मन्त्र का २१ बार स्मरण करने से राजा, मन्त्री नर, नारा, जो कोई भी हो सबका आकर्षण होता है। सब वश मे होगे। जिस किसी दुष्ट के नाम से जपे तो उसका अवश्य ही भागना होता है। रण मे वा, राजकुल मे, वाद मे, विवादम इस विद्या का स्मरण करने से अजय होता है। और पूष्पादिक मन्त्रित करके, जिस भूत, प्रत, शाकिन्यादि से लगा हो, उस पुरुष के ऊपर डालने से भूतादिक प्रकट होते है। बहुत क्या कहे सर्व अभिष्ट सिद्ध होता है।