SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 201
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४२ लघुविद्यानुवाद मन्त्र :-सोहु आकारणी पहुया घालिरे जंप जारे जरा लंकि लीजइ हणुया नां हरसं करची अगन्या श्री महादेव भराडाची अगन्या देव गुरु ची अगन्या जारे जरा लंकि । विधि :-दशवड सूत्र मे दस गाठ लगावे, दस बार मन्त्र पढे', फिर उस सूत्र को गले मे या हाथ मे बाँधे तो वेला ज्वर, एकातर ज्वर, द्ववान्तर ज्वर, व्यतर ज्वर, चतुर्थ ज्वर नष्ट होता है। इसी प्रकार गुगुल मन्त्रित करके जलाने से भी ज्वर का नाश होता है। मन्त्र :-ॐ चंड कपालिनी शेषान् ज्वरं बंध सईल ज्वरं बंध वेला ज्वरं बंध विषम ज्वरं बंध महा ज्वरं बध ठः ठः स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से कुसु भ रग के डोरे मे मन्त्र २१ बार पढता हुआ ७ गाठ लगावे फिर गले मे या हाथ मे बाधे तो सर्व ज्वर का नाश होता है । मन्त्र कालिया ज्वर वेताल नारसिंह खय काल क्षी क्षीणी अमुकस्य नास्ति ज्वरः। विधि -वार २१ चापडी वादने ज्वरोयाति। मन्त्र ----सप्त पातालु सप्त पाताल प्रमाणु छइ वालु ॐ चालिरे वालु जउ लगि राम लाषरण के वाणु छीनि घातिय हिलउ । विधि .-इस मन्त्र से जगली कडे की राख और अक्षत मन्त्रित कर देने से स्तन की पीडा ठीक होती है। मन्त्र :- ॐ नमो भगवते आदित्याय सर २ आगच्छ २ इमं चक्षुरोगं नाशय २ स्वाहा। विधि -कुमारीकत्रीत सूत्र को लेकर ७ वड कर, फिर मयूर शिखा को केशर मे रग कर उस डोरा मे मयूर शिखा को बाधे, फिर इस मन्त्र से २१ बार मन्त्रित करके कान मे बाधने से चक्षु रोग का नाश होता है । मन्त्र -ॐ ज्येष्ट श्र क्रवारिणि स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र से कूमारी सत्र को सात वड करके सात गाठ लगावे. फिर उस डोरे को कमर मे बाधने से वीर्य का स्तम्भन होता है। मन्त्र :- अंरं हं तं सिद्धां यं रि यं उं वं झां यं सां च । विधि :-एयाणि विदु मत्ता सहियाणि हवति सोलसवि १ सोलससु अक्खरेसु इक्कि क्व
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy