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लघुविद्यानुवाद
भंज २ पात्राणि पूर २ प्रात्म मंडल मध्ये प्रवेशय २ अवतर २
स्वाहा। विधि :-इस मन्त्र से मुद्गलादि दोष नाश होते है । मन्त्र :-पर्वतु डुगर कर्कट वाडि तसुकेरि वंश कुहा हाडी छिद २ भिद २ सापून
केरि शक्ति ठः ठः स्वाहा । विधि - इस मन्त्र से विष काटा ठीक होता है। मन्त्र :-ॐ नमो रत्नत्रयाय तद्यथा हने मोहने अहं अमकं अमकस्यं ज्वरं बंधामि
एकाहिक द्वयाहिक ज्याहिक चातुर्थिकं नित्यं ज्वरं वंधामि वेला ज्वरं
बंधामि स्वाहा । विधि -केशर, गोरोचन से चीरिका ( ) ऊपर इस मन्त्र को लिखकर कठ मे धारण करने
से ज्वर का नाश होता है। विदुक २० लिखित्वा द्धयोर्दिक शोर्गणयित्वार परिमाज्यंते
ततो वृश्चिक विषयाति । मन्त्र :-घ घ घः घु घु घुः धरुरे धरहउ सुनील कंछु पाउरे वाहुडि २ । विधि :-वाम हस्ते दुह अगुलि आगुट्ठ, डक, गृहीत्वा ऽय मत्रा भण्यते वृश्चिक विष याति । मन्त्र :-ॐ सवरि स्वाहा । विधि :-जब अपने को बिच्छू काट ले तो वे इस मन्त्र को जपे, विच्छ का जहर नहीं
चढता है। मन्त्र :-ॐ रौद्र महारौद्रं वृश्चिकं अवतारय २ स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र से सात प्रदक्षिणा करते हये जपे तो वृश्चिक विष उतरति । अम जपित्वा
आत्म. सप्तप्रदक्षिणादाय नीयास्ततो वृश्चिक उतरति । मन्त्र :-अट्ठारह जाति विछी यह अरुणार उदे वल्लावइ महादेवउ उत्तारइ खंभाक
देव केरी प्राज्ञा फुरतु देव उतारउ । विधि :-इस मन्त्र से १०८ बार हाथ फेरता जाय और मन्त्र पढता जाय तो बिच्छू का जहर
उतर जाता है। मन्त्र :-अट्ठ गंट्ठि नव फोडि ३ तालि बीछतु ऊपरि मोरु उडिरे जावन गरुड
भक्खड़।