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लघुविद्यानुवाद
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विधि .-धनुष और पाच बाण लेकर मन्त्रित करे इस मन्त्र से फिर चारो दिशा मे एक-एक बाण
छोड देवे और एक बाण आकाश मे छोडे फिर धनुर्वात रोगी के देखने से धनुर्वात शात
होता है । और कोई भी बालक को भी देखे । मन्त्र :-ह छाया पुरुषस्य क्षः ाः ३ क्षः सः आः आः क्षः। विधि :-इस मन्त्र से अघाहेडा दूर होता है।
मन्त्र :-ॐ नमो भगवते ईश्वरयक्षाय गौरी विनाय कषए सुष सहिताए मालाधराय
चंद्र शोभिताय तृतीय ज्वर वर प्रदाय गमय गमय स्फोटय २ त्रोटय २
परमेश्वरीस्य आज्ञायाम रहिरे तृतीय ज्वर जइ पोडा करइ । विधि -इस मन्त्र से गुगुल को १०८ वार मन्त्रित करके, फिर रोगी के सिर पर महेश्वर है ऐसा
विचार करता हया रोगी के सामने उस गुगुल को जलाने से तथा पानी कलवानी करके
पिलावे तो तृतीय ज्वर जाता है । मन्त्र :-ॐ नमो भगवतः क्षेत्रपालं त्रिशूलं कपालं जटा मुकुट बद्ध शिरो डमरूक
शोभितं उग्रनादं जियं गोगिरणी जय जया बहुला संद विकट नै मुखं जयंतु
कुंडल विशालं । विधि :- इससे दर्भ हाथ मे लेकर रोगी को झाडा दे तो ज्वर का नाश होता है। मन्त्र :-ॐ नमो भगवते काश्यपपस्ताय वासुकि सुवर्ण पक्षाय वज्र तुडाय
महागुरुडाय नमः सर्वलोकनखांतर्गताय तद्यथा हन २ हनि २ भन २ भनि २ सवंलूतान ग्रस २ चर २ चिरि कुरु २ घोड़ासान गृन्ह २ लोह लिंग छिद
भिद २ गंडमाल कीटां भक्षे स्वाहा । विधि .-तीक्ष्ण शस्त्रेण उजयेत गडमाला नश्यति । मन्त्र :--ॐ नमो भगवते पाश्वनाथाय पद्मावती सहिताय शंशाक गोक्षीर धवलाय
अष्टकर्म निर्मूलनाय तत्पाद पंकज निषेविनी देवी गोत्र देवत्ति जलंदेवति क्षेत्र देवति पाद्रदेवति गुप्त प्रकट सहज कुलिश अंतरीषयत्र स्थाने मठे पारा में नदी कुल संकटे भूम्यां आगच्छ २ आणि २ बांधि २ भूत प्रेत पिशाच मुद्गर जोटिग व्यंतर एकाहिक द्वयाहिक चातुर्थिक मासिक वरसिक शीत ज्वर दाह ज्वर श्लेष्म ज्वर सर्वाणि प्रवेश २ गात्राणि