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लघुविद्यानुवाद
मन्त्र :-ॐ कुरु कुरुले २ मातंग सवराय सं खं वादय ह्री फट् स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र से बालू २१ वार मन्त्रित करके घर मे डाल देने से सर्व सर्प भाग
जाते है। मन्त्र :-ॐ नकुलि नाकुलि मकुलि माकुलि अ हा (ला) ते स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से बालू २१ बार मन्त्रित करके घर मे डाल देने से घर मे साप नही
होते है। मन्त्र -ॐ सुरबिदु सः । विधि :-इस मन्त्र को पढता जावे और सर्प डसने वाले मनुष्य को नीम के पत्तो से झाडता जाय
तो साप का जहर उतर जाता है। मन्त्र :-ॐ चामुडे कुर्यम दंड अमुक हृदय मम हृदयं मध्ये प्रवेशाय ३ स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र को पढता जावे और जिस दिशा मे क्रोधी मानव हो, उस दिशा मे सरसो फेकता
जावे तो क्रोध नष्ट हो जाता है। (भस्म निसद्यः क्षिपते क्रोध) मन्त्र :-वानरस्य मुखं घोर आदित्य सम तेजसं ज्वरं तृतीयकं नाम दर्शना देव नश्यति
तद्यथा हन २ दह २ पच २ मध २ प्रमथ २ विध्वंसय २ विद्रावय २ छेदय २ अन्यसीमां ज्वर गच्छ हनुमंत लांगुल प्रहारेरण भेदय ॐ क्षां क्षी क्षौ क्षः रक्ष फट् स्वाहा । विष्णु चने रण छिन्न २ ' रुद्र श्रु लेग भिद भिद
ब्रह्मकमलेन हन हन स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र को केशर, गोरोचन से भोजपत्र पर लिखकर प्रात रोगी को दिखाने से ज्वर
का नाश होता है। मन्त्र :- ॐ कुरु कुरु क्षेत्रपाल मेघनाद केरी प्राज्ञा । विधि :-अनेन वार २१ खटिकामभिमन्यस्य ज्वर प्रागच्छन्नस्ति स ज्वर वेला या अन
उपवेश्य तत्पार्वतस्त्रि रेखाभि कु डक । क्रियते यावद्व लाया उपरिघटिका १ अतिक्राता भवति तावत्कु डक नमस्कारेण उत्तारणीय कु डस्थेन न पातव्य न भोक्तव्य कितु नमस्कारा गुणनोया य र ल व व ल र य इति पूर्वत एव परावर्तनात् ३००
एकातरादि वेलोप शाम्याति दृष्ट प्रत्ययोय कस्यापि अग्रेन कथनीय । मन्त्र -ॐ पंचबाण हथे धनुषं बालकस्य अबलोकनं हनु अस्य सरूपेण नश्यत्त
धनुर्वातकं ॐ क्रां क्रीं ठः ठः स्वाहा ।