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लघुविद्यानुवाद
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इत्यादि । ॐ नमो अरहताणं ॐ नमो सिद्धारणं ॐ रणमो पाइरियारणं ॐ
नमो उवज्झायारण ॐ रणमो लोए सव्वसाहूरण । विधि :-इस मन्त्र का स्मरण करने से स्वप्न मे शुभाशुभ मालूम होता है और दुस्वप्नो का नाश
होता है। मन्त्र :- इति पिसो भगवान अरिष्ट सम्म संबुद्धो विज्जावरण सपन्नो सुगतो लोक
विद्ध अनुत्तरो पुरुष दमसारथी शास्तादेवानां च मानुषारणं च बद्धो भगवाजयधम्मा हेतु प्रभवा तेसां तथागतो अवचेतसांयो निरोधो एवं वादी
मह समरणो। विधि -इस मन्त्र को २१ बार जपकर दुपट्टे मे गाठ लगाकर प्रोढ लेने पर किसी भी प्रकार के
शस्त्रो का घाव नही लग सकता रण मे सर्व शस्त्रो का निवारण होता है। इस मन्त्र के स्मरण मात्र से जीव बन्धन मुक्त हो जाता है। चोर भय, नदी में डूबने का भय, राज भय, सिह व्याघ्र सर्पादि सर्व उपद्रव का निवारण होता है । यह मन्त्र पठित सिद्ध है,
इसका फल प्रत्यक्ष होता है। मन्त्र :-ॐ अरिट्ट नेमि बंधेरण बंधामि पर दृष्टि बंधामि चौराणं भूयारणं शाकिरणोरणं
डाकिरणीण महारोगारणं दृष्टि चक्षु अंचलारणं तेसि सन्वेसि समरणं बंधामिगइवंधामि हुं हुं फट् स्वाहा ॐ ह्रीं सव्व अरहताणं सिद्धारणं सूरीणं उवज्झायारणं साहुणं मम् ऋद्धि वृद्धि सर्व समीहितं कुरु कुरु
स्वाहा। विधि :-इस मन्त्र का प्रात. और शाम को उभय काल मे बत्तीस २ बार स्मरण करना
चाहिये। मन्त्र :-गमो अरहंतारणं णमो सिद्धारणं णमो आयरियारणं इत्यादि । ॐ नमो
भगवइएसुयदेवयाए सव्व सुय मयाए सरस्सईए सव्व वाइणि सुवन्न वन्ने ॐ अरदेवी मम शरीरं पविस्स पुछतयस्स मुहंपविस्स सव्वं गमण हरीए
अरहंत सिरीए स्वाहा। विधि .-इस मन्त्र का प्रात १०८ बार जप करने से महाबुद्धिमान होता है। मन्त्र :-ॐ ह्रमम् अमुकं वशी कुरु कुरु स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र को २१ बार स्मरण करने से इच्छित व्यक्ति वश मे होता है।