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लघुविद्यानुवाद
विधि
-वार १०८ दिन ७ यस्य कार्यणादि दोषै सस्मारणीय ततोयेन दोष कृत स्यात्तस्यैव पतति राजप्रशाद वैरिश्म त्तन्नास्ति यदि तो नस्यात्त पर प्रत्यगिरादि यत्राग्रत कार्य हिगु भाग १ वचा भाग २ पिप्पली भाग ३ सूठि भाग ४ यवानी भाग ५ हरीतकी भाग ६ चित्रिक भाग ७ उपलोठ भाग ८ एत च्चूर्ण प्रात रूथा योष्णोदकेन २१ पेय कास, श्वास, क्षय रोग, मन्दाग्नि दोष प्रशम कार्मण चंत दोष घात् प्रशमति।
मन्त्र :-रे कालिया निष्य खिलउ सहता लुया ठः ठः । (यह कोलणी मन्त्र है) मन्त्र :-रे कालिया जिष्य मुक्को सहत्तालुयायः यः स्वाहा । (यह कोलणी मन्त्र है) मन्त्र .-ॐ गं ब्रां श्रीं हा हंसः वं हे सः क्षं हः सः हा हं सः स्थावर जंगम विष
नाशिनी निर्जरण हंस निर्वाण हंस अहं हंस जु। विधि -जल अभिमत्रयपाय येत् यदि जीर्यते तदा जीवति अन्यथा मृत्यु । मन्त्र :-ॐ हंसः नील हंसः महा हंसः ॐ पक्षि महापक्षि सर्पस्य मुखं बंध गति वधं
ॐ वं सं क्षं ठः । इस मन्त्र से सर्प का ग्रहण होता है । मन्त्र :-ॐ क्रों प्रों नठः। विधि .-इस मन्त्र से बीच्छू और साप का जहर बध जाता है। वश्चिक सर्प विषये
कडक बघ । मन्त्र :-ॐ नमो भगवते ऋषभाय जैनमति मोनमति रोदन मति स्वाहा । विधि .-इस मन्त्र से वच सात, मन्त्रित करके खावे तो महा बुद्धिमान, निरोगी होता है। मन्त्र -ॐ श्री ह्री कीर्तिमुख मंदिरे स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र को उपदेश देने के समय में प्रथम स्मरण करे तो श्रोतागण प्राकषित
होते है। मन्त्र :-ॐ यः रः लः त्यज दूरतः स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र का प्रात नित्य ही १०८ बार स्मरण करने से कार्मणादि दोष नाश
होते है। मन्त्र :-ॐ नमो अरिहंते (उत्पति) स्वाहा। बाहुबलि चत्तारि सरणं पवज्जामी