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लघुविद्यानुवाद
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हिलइ विसु दिट्ठि हिमारुद्र कवि सवी सवावीस उपवीस चइ वारि भार विस माटो करउ संज्ञा ही नास्ति विसनाश य य क्षोभय क्षोभय
विक्षोभय विक्षोभव माविलाशय २ । विधि -इस मन्त्र को ऊपर वाले मन्त्र के साथ जोडकर पूरा मन्त्र ७ बार जपने से विष उतर
जाता है। मन्त्र :-श्रल महेश्वर जइ द्वारि पर्वत्त माला चारि समुद्र माहि ल लघि हंस
भस्म अधूली सिरि गंभारी परतू स लखुरण पर जीवउ जिया स्वहि कुमारोकं मकरेइ हंसु विनय पूतु गुरुडु सवास सहस्त्र भार परविसुनि
वद्धउ । विधि - इस मन्त्र को ७ बार जपने से विष बधन को प्राप्त होता है अथवा नष्ट होता है। मन्त्र :--ॐ ह्रां ह्रीं श्रीं क्लीं ब्ली सर्व ज्वरो नाशय नाशय सर्व प्रेत नाशिनी
ॐ ह्रीं ठः भस्वं करि फट् स्वाहा । विधि -इस महामन्त्र को जपने से अथवा २१ बार पानी मन्त्रित कर पिलाने से पेट दर्द, अजीर्ण
आदिक नष्ट होते है। मन्त्र -ॐ ह्री वातापिक्षितोयेन पीतोयेन महोदधि समेपीत च भुक्तं च अग स्तिर्जर यिष्यति
ह्री ॐ कारे प्रथम रूप निराकारे प्रसूत शिवशक्ति सम रूप विन्न काल भैरव कालउ गोरउ क्षेत्रपालु जक्ख वइज नाथु कलि सुग्रीव करी आज्ञा फूर इ जाहो महाज्वर २ जाल जलती देवी पद्मावण वेगिव हति देवि सहर मारि पइट्ठी देवी इ क्कुविसुइ क्कवीस विस वावीस म वाघ विसुत हमहु वद्धी सिद्धि गठिल कह हु तउ नीसरइ गडयड तु
गाज तुट जाहो मह.ज्वर २ । विधि -नाग वल्ली पत्रपरि जप्य क्षरि तस्यदेय कर्णे वा दृष्ट प्रत्यय । मन्त्र :-ॐ नमो भेलि क्खिए गिन्हामिम दिया सव्व दुट्ठ प्रामदिया सव्व मुहमह
लक्खिया स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को १०८ बार १० ककर को मन्त्रित करके दशो दिशाओ मे फेकने से मार्ग मे
चोरादि का भय नही होता है । मन्त्र -ॐ ह्रीं अर्ह श्री शांतिजिन शांतिकरः श्री सर्वसंघ शांति विदध्यात
अहे स्वाहा । ॐ ह्री शांते शांतये स्वाहा । ॐ ह्रीं प्रत्यंगिरे महाविद्य।