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________________ १०६ लघुविद्यानुवाद मन्त्र :-ॐ ह्रीं अव्वुप्ते मम् सर्व भयं सर्व रोगं उपशामय २ ह्रीं स्वाहा अर्ह स्वस्ति लंकातः महाराजाधिराज समस्त कौणाधिपतिः अमुक शरीस्थं अमुक ज्वरं समादिशतिय थारे रे दुष्ट अमुक ज्वरं त्वयापत्रिका दर्शनादेव शीघ्र मागतव्यं अथ नाग छसित दाते सिर चंद्रहासखङ्गन कर्तयिष्यामि हुफटः मा भरिणष्यसि यन्नाख्यात्त । विधि :-इस मन्त्र को कागज पर लिखकर, रोगी के हाथ मे उस कागज को बाधने से वेला ज्वरादि भाग जाते है। मन्त्र :-ॐ हर हर हुहः दूतां श्रु कि पृछ कस्य प्रछादिकां । विधि :-प्रकुमित्वात्तन्नोऽनेनमत्रेण वार १०८ जपित्वा पुनरापिमीयते वृद्धौ वृद्धि शुभ च लाभादि पृछाया ह्यनौथ हानिर श्र भ च । मन्त्र :-~-ॐ ब्राह्माणी २ अहो कहो बलिकठकाः खविलाई लेऊ लेऊ हिव जाहो । विधि :-अनेन बार ३२ हस्तस्य स्पर्श विधानेन बलि काठा काख विलाइउप शाम्यति दृष्ट प्रत्ययोय । मन्त्र :--ॐ लावरण लाइ वाधि थण लउ काख विलाइ अर्जुन कइ वाणी छीन उती ह्र इ अर्जुन भामि जाई विलाइ ।' विधि -अष्टोत्तर शत वेल रक्षामभि मन्त्र दीयते । मन्त्र :-~-ॐ समुद्र अवगाहिनी भृगु चंडालिनी नव लुन जलु हुं फट् स्वाहा । क ५ काइ ३ नु ५ तुप्राइ ३ ए ६ जः ३ तक्षकाय नमः । विधि :-दे जल, इस मन्त्र से मन्त्रित करके देने से डक का विष उतर जाता है। शिख्या दिक्षा एकांत ज्वर, तृतीय ज्वर, भूत, शाकिनी का निग्रह होता है। मन्त्र :-ॐ ह्री श्रीस्फ्रां सिद्धिः गणनाम विद्ययं । विधि :-इस मन्त्र को एरड के पत्ते पर लिखकर रास्ते मे उस पत्ते को फेक देने से शाकिन्यादि मार्ग से हट जाते है। इस मन्त्र को नीम के पत्ते पर लिखकर, उस पने को पानी में फेंक देने से शाकिन्यादि जल त्तरति स व्रत्ययोऽय । मन्त्र :-ॐ क्ल्व्या ॐ मम्ल्या" ॐ लम्ल्या" ॐ अम्ल्या ॐ हल्या ॐ शम्ल्या ॐ म्ल्या ॐ रम्ल्या ॐ खुम्च्या ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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