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________________ लघुविद्यानुवाद मन्त्र :- ॐ क्रां श्रां ह्री सो नमो सुग्रीवाय परम सिद्धि कराय सर्व डाकिनी गृहीतस्य । विधि :-पाटे पर यत्र लिखकर अन्दर नाम लिखे, फिर सरसो, उडद, नमक से ताडन करे तो डाकिनी आदि से आक्रदीत हुआ रोगी का रोग नाश होता है। इस प्रकार का यत्र बनावे a नाम न '3३२ मन्त्र :-ॐ ह्री वासादित्ये ह्रीं क्लीं स्वाहा । विधि –सर्व मूली उन्मूल्यन मन्त्र । मन्त्र -ॐ ह्रीं क्षी ३ क्षः ३ लः ३ यः ३ हुं फट् स्वाहा । विधि :-अनेन वासा अक्षत रक्षा बार २१ अभिमन्त्र्य चतुर्दिक्षु गृहादौ क्षिप्पते सर्व दोपा उपशाम्यति । मन्त्र :-ॐ ह्रीं अप्रति चक्र श्वरी नखाग्रह शिखाग्रह रक्ष रक्ष हुफट् स्वाहा । विधि :-कलवाणी मन्त्र । मन्त्र -ॐ दसा देवी केरउ पाडउ अरणंत देवी केरउ पाडउ ॐ विद्ध विद्धरण विजाहरी विजा। विधि -गो घतेन हस्ते चोपडयित्वाविद्वगडोपरि हस्तो मन्त्र भणित्वा वार २१ भ्राम्यते त्तता विह उपशाम्यति, यदा एत्ता वतापिन निवर्त्तते तदा गोमय पूत्तलकम धो मुखम वलय शुलाभि विध्यते ततो निवर्तते । मन्त्र :-ॐ उरगं उरगां सप्त फोडिउ नीसरइ रक्त वइमांसि रांघिणि । छिन्नउ सवाउ हाथुसरीरि वाहयेत् ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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