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________________ लघुविद्यानुवाद ६७ विधि :- अनेन उ जित्ताराधिरिण रूपशाम्यति । मन्त्र :- ॐ प्रांजलि महातेजे स्वाहा । विधि - इस मन्त्र को गौरोचन से भोजपत्र पर लिखकर मस्तक पर धारण करने से सर्व कार्य मे जीत होती है । मन्त्र :- द्रोण पर्वतं यथा वद्ध शीतार्थे राघवेण उतं तथा वंघयिष्यामि प्रमुकस्य गर्भ मापत उमा विशीर्य उ स्वाहा । ॐ तद्यथाधर धारिणी गर्भ रक्षिणी प्रकाश मात्र के हु फट् स्वाहा । विधि - लाल डोरा को इस मन्त्र से २१ बार जपकर २१ गाठ देवे, फिर गभिरणी के कमर मे बाध देने से गर्भ पतन नही होता है, किन्तु नौ मास पूरे होने पर उस डोरे को खोल देना चाहिए । मन्त्र - ॐ पद्मपादीव ह्रीं ह्रां ह्रः फटु जिह्वा बंधय बंधय सवसवे व समानय स्वाहा । विधि . - इस मन्त्र से वच मन्त्रित करके मुह मे रखने से सर्व कार्य की सिद्धि होती है । मन्त्र :- ॐ रक्त े रक्ता वते हुं फट् स्वाहा । विधि - कन्या कत्रीत सूत्र गाठ देकर लाल कनेर के फूलो से १०८ बार मन्त्रित करके स्त्री के कमर मे बाधने से रक्त प्रवाह नाश होता है । मन्त्र :- ॐ अमृतं वरे वर दर प्रवर विशुद्ध हुं फट् स्वाहा । ॐ अमृत विलोकिनि गर्भ संरक्षिरिण श्राकारिण हु हुं फट् स्वाहा । ॐ विमले जयवरे अमृते हुं हुं फट् स्वाहा । ॐ भर भर सभर सं इन्द्रियवल विशोधिनि हुं हुं फट् स्वाहा । ॐ मरिग धरि वजिणी महाप्रतिसरे हुं हुं फट् फुट् स्वाहा । विधि - इन पाँच मन्त्रो को चन्दन, कस्तूरी, कु कुम अलकुक के रस से भोजपत्र पर लिखकर इस विद्या का जाप करे फिर गले मे बाँधे या हाथ मे बाधने से शाकिनी, प्रेत, राक्षसी वा अन्य का किया हुआ यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र प्रयोगादि का नाश होता है । विशेष क्या कहे, विष भक्षण भी किया हो तो भी उस विष का नाश होता है । मन्त्र :- ॐ काली रौद्री कपाल पिंडिनी मोरा दुरित निवारिणी राजा वंधउ
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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