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________________ लधुविद्यानुवाद ६५ मन्त्र :-ॐ रक्ते विरक्ते तखाते हूं फट् स्वाहा । (लावणोत्तारण मंत्रः) मन्त्र :-ॐ (प) क्षिपस्वाहायः हु फट् स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से दुष्ट वर्ण शान्त होते है। मन्त्र :-ॐ वंक्षः स्वाहा (गड मन्त्रः) मन्त्र :-नीलीपातलि कविलउ वडुयउ कालउडंवुचउ विहुभांडु पृथ्वी तण इपापी लीजिसिजइ गिडिसि पावसि ठः स्वाहा । विधि –अनेन बार २१ गडोऽभिमत्र्यते एतद्भिमन्त्रितेन भस्मनाऽक्षि म्रक्ष्यते । मन्त्र :-ॐ उदितो भगवान सूर्योपद्माक्ष वृक्ष के तने आदित्यस्य प्रसादेन अमुकस्याद्ध भेटकं नाशय नाशय स्वाहा । विधि -इस मन्त्र को कुकु से लिखकर कान पर बाँधने से आधा शिशी सिर की पीडा दूर होती है। मन्त्र :- ॐ चिगि भ्रां इं चिगि स्वाहा । विधि । -अनेन मन्त्रेण दर्भु, सुइ, जीवण इ हाथि लेवा इ जइ डावइ हाथि सरावु करोटी वाध्रियते सूइ पुरणपाणी माहि घाली जइ खाट हेट्ठिधरी जइ कामल-वाउ फीटइ पडियउ दोसइ । मन्त्र :-ॐ रां री रु रौ रं स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से कामल वात (उज्यते) नाश होता है। मन्त्र :-ॐ इटिल मिटिल रिटिल कामलं नाशय नाशय अमुकस्य ह्रीं अप्रत्तिहते स्वाहा । विधि -इस मन्त्र से चना, कडवा तैल, नमक, अजवाइन. मिर्च, सब चीज साथ में लेकर २१ बार मन्त्रित करके खिलाने से कामल-वात नाश होता है। मन्त्र :-हिमवंत उत्तरे पार्वे पर्वतो गंध मादने सरसा नाम यक्षिणी तस्याने उर सद्दण विशल्या भवति गुविरणी। विधि -इस मन्त्र से तेल २१ बार मन्त्रित कर शरीर पर तथा मल स्थान पर लगाने से गभिरणी सुख से प्रसूति करती है।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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